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विश्व चैंपियनशिप में सुशील बन गए थे 'गुरु'

लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाले और विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान सुशील कुमार हाल में हंगरी के बुडापेस्ट में हुई विश्व प्रतियोगिता में 'गुरु' की भूमिका में आ गए...

विश्व चैंपियनशिप में सुशील बन गए थे 'गुरु'
एजेंसीWed, 25 Sep 2013 04:32 PM
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लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाले और विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान सुशील कुमार हाल में हंगरी के बुडापेस्ट में हुई विश्व प्रतियोगिता में 'गुरु' की भूमिका में आ गए थे।
     
सुशील का नाम 66 किग्रा वर्ग के पहलवानों में शामिल था लेकिन अपने कंधे की चोट से उबरने के बावजूद वह ऐहतियातन प्रतियोगिता में नहीं उतरे। लेकिन प्रतियोगिता के दौरान अपनी मौजूदगी से उन्होंने और उनके साथी योगेश्वर दत्त ने भारतीय पहलवानों का ऐसा हौसला बढ़ाया कि भारत ने प्रतियोगिता में तीन पदक जीतने का इतिहास बना दिया।
    
भारतीय पदक विजेता पहलवानों के लिए यहां आयोजित सम्मान समारोह में सुशील ने योगेश्वर के साथ खुद को इन पहलवानों से कुछ फासले पर रखा ताकि ये पहलवान ही मीडिया का आकर्षण बने रहें।
    
भारतीय टीम के साथ गए कोचों ने बताया कि सुशील की मौजूदगी पहलवानों के लिए बड़ी प्रेरक रही। कोचों ने कहा कि पहलवान जब अभ्यास किया करते थे तो उस दौरान सुशील को उनके बीच खड़ा किया जाता था ताकि वह उन्हें प्रेरित कर सकें।
      
सुशील के शब्द पहलवानों को मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने का काम करते थे। यही कारण था कि भारतीय पहलवानों ने विश्व प्रतियोगिता में एकाध नहीं बल्कि तीन पदक जीत डाले। कोचों ने कहा कि पहलवानों में आत्मविश्वास जगाने के लिए ऐसे पहलवान को सामने लाना जरूरी था जो खुद इतिहास बना चुका हो।   

खुद सुशील ने कहा कि जब मैं फ्रीस्टाइल के बाद स्वदेश लौटने के लिए बस में सवार हुआ था तभी मैं बस से उतरा और ग्रीको रोमन पहलवान संदीप तुलसी यादव के कमरे में गया। मैंने संदीप से कहा कि मेरा दिल कहता है तुम पदक जीत सकते हो और मुझे खुशी है कि संदीप ने यह काम कर दिखाया।
     
लंदन ओलंपिक में रजत जीतने वाले सुशील ने कहा कि भारतीय पहलवानों ने बुडापेस्ट में जबर्दस्त प्रदर्शन किया और इसके लिए वह इन पहलवानों को बधाई देते हैं।
     
उन्होंने कहा कि जब ये पहलवान ट्रेनिंग करते हैं तो हमारी कोशिश यही रहती थी कि इनकी जो कमियां हैं उन्हें दूर किया जाए। हमारे गुरुजी सतपाल ने भी हमें बुडापेस्ट जाने के लिए इसी शर्त पर अनुमति दी थी कि हम इन पहलवानों पर मेहनत करेंगे।
     
सुशील ने कहा कि बजरंग और अमित में थोड़ी कमियां थीं जिसमें हमने सुधार किया। सबसे बड़ी बात यह थी कि हमारी मौजूदगी से फीला के रेफरियों पर भी असर पड़ा और उन्होंने कुछ भी करने से पहले एक बार हमारी तरफ देखा। हमारी मौजूदगी से निश्चित ही भारतीय पहलवानों को फायदा मिलेगा।

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