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शीतकालीन सत्र में विधेयक आधार को मिलेगा कानूनी दर्जा

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को वैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए सरकार काफी समय से लंबित एक विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित करने पर जोर देगी। योजना मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा...

शीतकालीन सत्र में विधेयक आधार को मिलेगा कानूनी दर्जा
एजेंसीTue, 24 Sep 2013 10:25 PM
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भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को वैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए सरकार काफी समय से लंबित एक विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित करने पर जोर देगी। योजना मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि हम आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण विधेयक 2010 को चर्चा और पारित करने के लिए लाएंगे।

यूआईडीएआई लोगों को 12 अंकों वाला आधार नंबर जारी करता है। यूआईडीएआई फिलहाल कार्यपालिका के आदेश से संचालित होता है। यूआईडीएआई का कामकाज उच्चतम न्यायालय के समक्ष आया जिसने कल अपने एक अंतरिम आदेश में कहा कि आधार सिर्फ भारतीय नागरिकों को जारी किया जा सकता है और पहचान नंबर सरकार की सब्सिडी योजनाओं को पाने के लिए अनिवार्य नहीं हो सकता।

यह विधेयक प्राधिकरण को वैधानिक समर्थन प्रदान करेगा जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर 2010 में मंजूरी दी थी और पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में पेश किया गया। इससे पहले इसे वित्त मंत्री एवं भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष जांच के लिए भेजा गया।

शुक्ला ने कहा कि अब स्थायी समिति ने कुछ संशोधनों के साथ विधेयक को फिर से योजना आयोग के पास भेज दिया है। हम इसे शीघ्र ही मंत्रिमंडल के पास ले जाएंगे और शीतकालीन सत्र में इसे पारित कराने पर जोर देंगे।

मंत्री ने कहा कि यूआईडीएआई ने आधार नंबर के लिए पंजीकरण निवासियों के लिए अनिवार्य नहीं किया है और केंद्रीय विभागों, मंत्रियों तथा राज्य सरकारों को इस बारे में फैसला करना है कि लाभार्थियों की पहचान का सत्यापन कैसे किया जाए। उन्होंने कहा कि आधार लोगों की पहचान बताता है न कि राष्ट्रीयता। यह आवास प्रमाण पत्र का भी सबूत है। हालांकि, यह स्वैच्छिक है न कि अनिवार्य।

उच्चतम न्यायालय में सौंपे गए योजना आयोग के हलफनामे के मुताबिक आधार लोगों को स्वैच्छिक आधार पर जारी किया जा रहा है। व्यक्ति की सहमति आधार नंबर जारी करने के लिए कोई अनिवार्य शर्त है। यह नहीं कहा जा सकता कि इसके तहत ली जाने वाली बायोमेट्रिक सूचना मूल अधिकार का उल्लंघन है।

यूआईडीएआई का गठन जनवरी 2009 में किया गया था जो योजना आयोग के तहत एक कार्यकारी इकाई के तौर पर काम करता है। प्राधिकरण को 18 राज्यों में 60 करोड़ निवासियों का नाम शामिल करने और उनका बायोमेट्रिक डाटा एकत्र करने की जिम्मेदारी दी गई है जबकि शेष 61 करोड़ आबादी का डाटा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) कार्यक्रम के तहत जुटाया जाएगा।

समूची 121 करोड़ आबादी के लिए 12 अंकों वाला विशिष्ट पहचान नंबर यूआईडीएआई द्वारा तैयार किया जाएगा। एनपीआर और यूआईडीएआई जुटाए गए डाटा को साझा करेंगे ताकि आधार नंबर के साथ बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय पहचान कार्ड देश में सभी निवासियों को जारी किया जा सके।

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