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50 के पार सताता है प्रोस्टेट कैंसर

इस माह यानी सितम्बर को पूरी दुनिया में प्रोस्टेट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। अब तो भारत में भी यह बीमारी अधिक लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी है। इसके प्रति जागरूकता फैला कर इसे...

50 के पार सताता है प्रोस्टेट कैंसर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 20 Sep 2013 12:03 PM
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इस माह यानी सितम्बर को पूरी दुनिया में प्रोस्टेट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। अब तो भारत में भी यह बीमारी अधिक लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी है। इसके प्रति जागरूकता फैला कर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है और बीमारी पर समय रहते काबू भी पाया जा सकता है। बता रहे हैं अपोलो हॉस्पिटल के ऑनकोलॉजिस्ट डॉं. पी. के. दास

पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली 76 लाख मौतों में छठा सबसे बड़ा कारण है प्रोस्टेट कैंसर। यह फेफड़ों के कैंसर के बाद दूसरा सबसे अधिक डायग्नोसिस होने वाला रोग है।

इसका खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। पुरुषों में 70 फीसदी से अधिक प्रोस्टेट कैंसर के मामले 65 की उम्र के बाद होते हैं। इसके पीछे किसी ठोस कारण के बारे में आज भी स्पष्ट जानकारी नहीं है। शोध बताते हैं कि 70 की उम्र के बाद अधिकांश लोगों में किसी न किसी रूप में प्रोस्टेट कैंसर होता है, भले ही उसके बाहरी लक्षण न दिखें।

प्रोस्टेट क्या है
प्रोस्टेट पुरुष यौन अंग का एक एक्सोक्राइन ग्लैंड है। यह ब्लैडर के ठीक नीचे रहता है। इससे होने वाले स्त्रव शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मोटे तौर पर अखरोट आकार के इसी प्रोस्टेट के माध्यम से यूरेथ्रा गुजरता है। यही वह नली है, जिससे पेशाबऔर वीर्य शरीर से बाहर निकलता है। प्रोस्टेट वीर्य का एक घटक है, जो उसे तरल बनाने के अलावा शुक्राणुओं की रक्षा भी करता है। पेशाब नियंत्रण में भी इसकी अहम भूमिका होती है।

मध्यमवर्गीय लोगों पर अधिक है असर
अब तक यही देखा गया है कि प्रोस्टेट के सबसे अधिक मामले अमेरिका और यूरोप में हैं। दक्षिण एवं पूर्व एशिया के देशों में इसके मामले कम आते हैं। हालांकि जीवन प्रत्याशा में वृद्घि, नई जीवनशैली और प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन (पीएसए) से जांच के परिणामस्वरूप प्रोस्टेट कैंसर के मामले भारत जैसे देशों में भी कम और मध्यम आय वर्ग के लोगों के बीच तेजी से बढ़ रहे हैं।  

यूं बढ़ रहे हैं मामले
भारत की 2001 में जीवन प्रत्याशा 61.7 से बढ़ कर 2011 में 65.4 हो गई है। इसके साथ ही प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में सालाना 1 फीसदी की वृद्घि हो रही है। हालांकि आज भी इसके बारे में काफी लोगों को नहीं पता है और वे इसके उपचार को लेकर जागरूक नहीं हैं। उन्हें इसे नजरअंदाज करने के घातक परिणामों का भी नहीं पता है। लेकिन जब हम जागरूकता माह मनाने लगे हैं तो हमें चाहिए कि इस बीमारी से छुटकारा पाने का प्रयास करें। लोगों को इसके प्रति सतर्क रहने, इसके इलाज और इससे जुड़े जोखिमों के बारे में बताना आवश्यक है।

उपचार है आसान
प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है। यह शुरू में प्रोस्टेट ग्लैंड तक सीमित रहता है, जहां इसके गंभीर दुष्परिणाम नहीं दिखते। कुछ किस्म के प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे फैलते हैं और इनसे छुटकारा पाने के लिए बहुत कम या किसी उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। अन्य किस्म के प्रोस्टेट कैंसर आक्रामक होते हैं और तेजी से फैलते हैं। इसके उपचार के लिए सर्जरी (प्रोस्टेक्टोमी), रेडियोथैरेपी, हार्मोनल थैरेपी (एंड्रोजेन दूर करने वाले ड्रग्स के उपयोग से) आदि का उपयोग किया जाता है।

लक्षण पर ध्यान देना है जरूरी
प्रोस्टेट कैंसर के आरंभिक लक्षणों का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता। जब ट्यूमर के चलते प्रोस्टेट ग्लैंड में सूजन आती है या कैंसर प्रोस्टेट से बाहर फैलता है तो कुछ लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं-

खासकर रात में बार-बार पेशाब करने की जरूरत महसूस होना।
पेशाब की धार कमजोर या उसमें रुकावट महसूस होना।
पेशाब या वीर्य में खून आना।

इसलिए ये लक्षण दिखते ही जल्द से जल्द डॉंक्टर से मिलना जरूरी है। राहत की बात यह है कि यह बीमारी धीरे-धीरे फैलती है और जानलेवा खतरे की आशंका काफी कम होती है।

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