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Hindi News अब भी तलाश ‘विभीषणों’ की

अब भी तलाश ‘विभीषणों’ की

लोकसभा का विशेष सत्र आरंभ होने से एक दिन पहले रविवार को दोनों ही पक्षों ने दावा किया कि जीत कुछ ही कदम दूर है। यूपीए विरोध और समर्थन की जंग के बीच रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री...

 अब भी तलाश ‘विभीषणों’ की
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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लोकसभा का विशेष सत्र आरंभ होने से एक दिन पहले रविवार को दोनों ही पक्षों ने दावा किया कि जीत कुछ ही कदम दूर है। यूपीए विरोध और समर्थन की जंग के बीच रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के सियासी पैंतर ने यूपीए के राजनीतिक प्रबंधकों की आशाओं पर पानी फेर दिया, लेकिन सरकार बचाने वालों का हौसला भले ही अचंभित किया, उनका हौसला गुरुाी यानी झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरन के यूपीए के साथ बने रहने की घोषणा से उछाल पर आया। दोनों पक्षों की निगाहें अब भी उन ‘विभीषणों’ पर है जो पाला बदल कर सकते हैं। विश्वास प्रस्ताव पर मतदान भी तो मंगलवार को होना है। लेकिन सेनाएं सज चुकी हैं। बिगुल बज चुका।ड्ढr एटमी जंग के बहाने संसद में संख्या गणित का यह खेल अब एटमी डील या विदेश नीति नहीं, अपनी-अपनी सीट बचाए रखने की व्याकुलता में तब्दील हो चुकी है। यूपी की मुख्यमंत्री मायावती इसलिए मजबूत होकर उभरी हैं कि माना जाता है कि वे अजित सिंह और चंद्रबाबू नायडू से लेकर तेलंगाना राष्ट्र समिति तक को दलित वोट दिलवा सकती हैं। यह तय है कि माया और लेफ्ट गठाोड़ इस सत्र में राजनीति की नई इबारत को लिख डालेगा। यह भले ही अजीब हो लेकिन लड़ाई आमने-सामने की है इसलिए मुलायम और प्रकाश करात ने एक-दूसर को ‘धोखेबाज’ कहा। वैसे, यह बात भी जानने की है कि सरकार गिराने के लिए भाजपा और लेफ्ट के बीच गुप्त रणनीति भी बनी है।खबर तो यह भी है कि एक प्रमुख वाम नेता की विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी से एक गोपनीय जगह गुफ्तगू हुई। लोकसभा चुनावों को करीब आते देख विभिन्न दलों के सांसद इस बार दल-बदल कानून और पार्टी के ‘व्हिप’ की खास परवाह नहीं कर रहे। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में कई संसदीय क्षेत्रों में हुए उलट फेर और कइयों के अनुसूचित जाति-ानजाति के लिए आरक्षित हो जाने के कारण भी बहुत सार सांसद अपनी दलीय प्रतिबद्धताओं को ताक पर रखने को तैयार हैं।

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