खुशखबरी! सामान्य रहेगा मानसूनमदन जैड़ा
महंगाई और मंदी के दौर में एक अच्छी खबर यह है कि इस साल ठीकठाक मानसूनी बारिश होने के आसार हैं। यानी खेती-बाड़ी के मोर्चे पर देश पर आगे भी संकट नहीं रहेगा।ड्ढr मौसम विभाग ने मानसून का दीर्घावधि...
महंगाई और मंदी के दौर में एक अच्छी खबर यह है कि इस साल ठीकठाक मानसूनी बारिश होने के आसार हैं। यानी खेती-बाड़ी के मोर्चे पर देश पर आगे भी संकट नहीं रहेगा।ड्ढr मौसम विभाग ने मानसून का दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा है कि इस बारीसदी बारिश होगी। इसमें पांच फीसदी की मॉडल त्रुटि रखी गयी है। यानी बारिश 101 फीसदी भी हो सकती है औरीसदी तक भी रह सकती है। कुल मिलाकर बारिश औसत या औसत के करीब रहेगी। इसके अलावा अभी तक मिले संकेतों के अनुसार मानसून के भी समय पर यानी एक जून के आसपास केरल में प्रवेश करने की संभावना है।ड्ढr मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक एल. एस. राठौर के अनुसार, ‘इस बार अभी तक मॉडल यह संकेत दे रहे हैं कि प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह ज्यादा गरम होने के आसार नहीं हैं। इसलिए अल-नीनो फैक्टर प्रभावी नहीं है।ड्ढr जब समुद्र की सतह का तापमान सामान्य रहता है तो लॉ-नीनो फैक्टर बनता है लेकिन इससे देश में बारिश करने वाले दक्षिण पश्चिमी मानसून पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है।’यहां बता दें कि मौसम विभाग अपनी दीर्घावधि भविष्यवाणी के सटीक होने का दावा करता है लेकिन इसमें बड़ा पेंच हैं। असल में यह भविष्यवाणी पूर देश के लिए होती है।ड्ढr मानसून के चार महीनों जून से सितंबर के दौरान औसत 80 मिलीमीटर बारिश होती है। कमोबेश इतनी बारिश हर साल हो जाती है। लेकिन वह समय पर नहीं होती और सभी क्षेत्रों में समान रूप से नहीं होती है। मसलन, कहीं सूखा पड़ जाता है और कहीं इतना पानी बरसता है कि बाढ़ आ जाती है। ूसर मानसून के पहले दो महीनों जून-जुलाई में बारिश कम होती है और अगस्त-सितंबर में मानसून की करीब 70 फीसदी बारिश होती है। चूंकि कुल बारिश औसत के बराबर हो जाती है इसलिए विभाग खुद ही अपनी पीठ ठोक लेता है। ऐसी स्थिति में कहना मुहाल है कि किसानों को इस भविष्यवाणी का कितना लाभ पहुचेगा।ड्ढr