फोटो गैलरी

Hindi News सावन का मूड

सावन का मूड

सावन अपने मूड में नहीं आ पाया है। सावन है लेकिन कांवड़ियों के आने से महसूस हो रहा है। अपने मौसमी मिजाज से तो सावन का एहसास नहीं हो रहा। सावन जब अपने मूड में हो, तो धरती पर उतर आता है आसमान। प्रकृति...

 सावन का मूड
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

सावन अपने मूड में नहीं आ पाया है। सावन है लेकिन कांवड़ियों के आने से महसूस हो रहा है। अपने मौसमी मिजाज से तो सावन का एहसास नहीं हो रहा। सावन जब अपने मूड में हो, तो धरती पर उतर आता है आसमान। प्रकृति और पुरुष का अद्भुत मिलन। धरती प्यासी है अपने आसमान से मिलने को। आसमान आता है और धरती को भिगो जाता है। भीतर तक। यों ही अपना समाज सावन में शिव और पार्वती को नहीं पूजता रहा है। मुझे याद है कि आज भी घरों से मंदिर जाने वालों को यह हिदायत दी जाती है कि सिर्फ शिव पर ही जल मत चढ़ाना। पार्वती को भी अर्पण करना। पार्वती के बिना शिव के जलाभिषेक को अधूरा माना जाता है। खासतौर से परिवारों में। प्रकृति और पुरुष यानी शिव और पार्वती। शिव का नृत्य है तांडव और पार्वती का है लास्य।जिंदगी दोनों से बनती है। दोनों के बिना संतुलन नहीं बनता। बारिश मे हमें प्रकृति के इन दो रूपों को देखने का अवसर मिलता है। यह धरती प्रकृति है। प्रकृति के तौर पर पार्वती उसका बेहतरीन रूप हैं। धरती प्यासी है। पार्वती प्यासी हैं। धरती तप रही है। पार्वती तपस्या कर रही हैं। भीतर से भीगना जरूरी है। तर होना है। वह कौन करगा? शिव अपनी जटाओं में बसी गंगा को उतारते हैं। तब धरती और पार्वती की प्यास मिटती है। कभी जब बारिश होती है, तो महसूस होता है कि शिव की जटाओं से निकल रहा है पानी। शिव ने गंगा को धार कर धरती पर उतार दिया था। यह समाज गंगा के लिए उनका कृतज्ञ है। गंगा उनके लिए जीवनदायिनी है। कांवड़ मुझे एक किस्म का कृतज्ञता ज्ञापन लगता है। शिव की वजह से गंगा धरती पर आई। गंगा का आना धरती के लिए वरदान था। अब लोग उसी कृतज्ञता के लिए पहले गंगा जल लाते हैं और शिव पर चढ़ाते हैं। प्रभु आप हमारी जिंदगी में गंगा को लाए। इसलिए त्वदीयं वस्तु.. के अंदाज में हम वह गंगाजल आप ही को अर्पित कर रहे हैं।ड्ढr

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें