CBI ने स्वायत्तता पर सरकार के प्रस्ताव का किया विरोध
सीबीआई ने अपनी स्वायत्तता के मामले में सरकार के प्रस्ताव का उच्चतम न्यायालय के समक्ष बिन्दुवार खंडन करते हुए संस्था के निदेशक की नियुक्ति, अधिकार और कार्यकाल पर सरकार की सलाह का जोरदार विरोध किया...
सीबीआई ने अपनी स्वायत्तता के मामले में सरकार के प्रस्ताव का उच्चतम न्यायालय के समक्ष बिन्दुवार खंडन करते हुए संस्था के निदेशक की नियुक्ति, अधिकार और कार्यकाल पर सरकार की सलाह का जोरदार विरोध किया है।
अपने 19 पृष्ठ के दस्तावेज में सीबीआई ने कहा है कि केन्द्र के प्रस्ताव व्यावहारिक स्वायत्तता देने मामले में विरोधाभासी हैं और प्राकतिक न्याय के सिद्धांतों का अतिक्रमण हैं। सरकार ने अपने प्रस्ताव में सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति के मामले में निवर्तमान निदेशक का विचार लेने की पूर्व-शर्त को खारिज कर दिया। सरकार निदेशक के कार्यकाल को दो वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष करने पर भी राजी नहीं है।
केन्द्र सरकार ने दो अगस्त को दायर किए गए अपने हलफनामे में सीबीआई के निदेशक को भारत सरकार के पदेन-सचिव का दर्जा देने की संस्था की मांग से इनकार करते हुए कहा है कि समानता के मुद्दे को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। केन्द्र ने कहा था कि किसी नई वरीयता के सृजन की अवश्यकता नहीं है जो उसी स्तर के विभिन्न संस्थाओं के बीच असंतोष और कलह को बढ़ाए।
एजेंसी के अनुसार, नए निदेशक की नियुक्ति में निवर्तमान निदेशक की सलाह लेना वर्तमान (सीवीसी अधिनियम 2003) में वैधानिक प्रावधान है। भारत सरकार इसे पूर्वशर्त करार देकर छीनना चाहती है, यह स्वीकार्य नहीं है जबकि वह इसे कार्यकारी आदेश के माध्यम से बनाए रखना चाहती है।