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INS अरिहंत परमाणु रिएक्टर शुरू, मनमोहन सिंह ने दी बधाई

जल और थल के बाद अब पानी के भीतर से परमाणु वार करने की भारत की क्षमता को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का परमाणु रिएक्टर शनिवार तड़के शुरू कर दिया गया। नौसेना...

INS अरिहंत परमाणु रिएक्टर शुरू, मनमोहन सिंह ने दी बधाई
एजेंसीSat, 10 Aug 2013 07:12 PM
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जल और थल के बाद अब पानी के भीतर से परमाणु वार करने की भारत की क्षमता को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का परमाणु रिएक्टर शनिवार तड़के शुरू कर दिया गया।

नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सूत्रों ने बताया कि आईएनएस अरिहंत का 83 मेगावाट रिएक्टर सैकड़ों परीक्षणों के दौर से गुजरने के बाद सफलतापूर्वक चालू हो गया है। परमाणु पनडुब्बी विकसित करने वाला भारत दुनिया का छठा देश है। परमाणु रिएक्टर चालू होने से नौसेना और रक्षा प्रतिष्ठान ने राहत की सांस ली है और इस उपलब्धि से गौरवान्वित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने रक्षा वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

डॉ. सिंह ने कहा कि मुझे यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता हुई कि भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का परमाणु रिएक्टर चालू हो गया है। मैं इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से जुड़े सभी लोगों को और विशेष रूप से परमाणु ऊर्जा विभाग, भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को बधाई देता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का यह घाटनाक्रम हमारी स्वदेशी टेक्टोलॉजी विकसित करने की दिशा में बड़ी प्रगति है। यह हमारे वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और रक्षा कर्मियों की क्षमता का सबूत है जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जटिल टेक्नोलॉजी को विकसित करने में महारथ हासिल की है। परमाणु रिएक्टर चालू होने के लिए यह पनडुब्बी विशाखापत्तनम के डॉकयार्ड में मानसून के सुस्त पड़ने का इंतजार कर रही थी।

रक्षा सूत्रों के अनुसार समुद्र शांत पड़ने के बाद अब इसे कभी भी समुद्री परीक्षणों के लिए उतार दिया जाएगा। आईएनएस अरिहंत का जलावतरण 26 जुलाई 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री एंटनी की मौजूदगी में किया गया था। परंपरा के अनुसार जलावतरण की रस्म महिला द्वारा पूरी की जाती है और इसका पालन करते हुए प्रधानमंत्री की पत्नी गुरशरण कौर ने इसका जलावतरण किया था।

पिछले चार वर्षों में आईएनएस अरिहंत के हार्बर परीक्षण चलते रहे हैं। इसके हजारों उपकरणों को कड़े परीक्षणों के दौर से गुजारा गया। आईएनएस अरिहंत में 83 मेगावाट का परमाणु रिएक्टर लगा है। मिनी रिएक्टर को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने विकसित किया है।

समुद्र में उतारे जाने के बाद आईएनएस अरिहंत के संचालन संबंधी परीक्षण होंगे। ये परीक्षण 18 महीने तक चलेंगे। नौसेना की सेवा में शामिल होने के बाद यह भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी बन जाएगी। रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र पहले ही समुद्र के भीतर कहीं चुपचाप दुश्मन पर निगाह जमाए हुए बैठी है।

अरिहंत से छोड़ी जाने वाली परमाणु मिसाइल के-15 पूरी तरह विकसित कर ली गई है। इसके दस से अधिक परीक्षण हुए हैं। इस मिसाइल की रेंज 700 किलोमीटर है जिसे 3500 किलोमीटर तक बढ़ाने के प्रयार जारी हैं। पानी के भीतर से परमाणु वार करने की क्षमता किसी भी परमाणु देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि परमाणु हमला होने की स्थिति में पलटवार करने के लिए पानी के भीतर के अस्त्र सुरक्षित रहते हैं। पानी के भीतर होने के कारण दुश्मन पर बेहद अनजान जगह से परमाणु वार किया जा सकता है।

दुनिया के गिने चुने देश ही अभी तक परमाणु पनडुब्बी बना सके हैं। इनमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं। इस तरह भारत दुनिया का छठा देश होगा जो परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाब हो गया है।

 रक्षा मंत्री एके एंटनी ने आईएनएस अरिहंत के परमाणु रिएक्टर से जुड़े काम में शामिल रहे वैज्ञानिकों, नौसेना कर्मियों एवं अन्य संगठनों को बधाई दी। अहम क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में राष्ट्र की यात्रा में इसे एक बड़ी उपलब्धि करार देते हुए एंटनी ने कहा कि स्वदेश-निर्मित परमाणु पनडुब्बी जब नौसेना में शामिल होगी तो यह उसकी शान होगी।

एडवांसड टेक्नोलॉजी वेसेल (एटीवी) कार्यक्रम के तहत आईएनएस अरिहंत का निर्माण किया गया है। विशाखापत्तनम स्थित नौसैनिक डॉकयार्ड में करीब 15,000 करोड़ की लागत से इसे बनाया गया है। इस परमाणु पनडुब्बी के काम करना शुरू कर देने के बाद भारत अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन की श्रेणी में आ जाएगा। इन देशों के पास यह क्षमता पहले से है।

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