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सलेम का प्रत्यर्पण अब भी वैध, यहां चलेंगे मुकदमे: कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत के माफिया सरगना अबू सलेम के प्रत्यर्पण को समाप्त करने के बावजूद उसका प्रत्यर्पण अब भी वैध है। इसके साथ ही न्यायालय ने 1993 के मुम्बई बम विस्फोटों...

सलेम का प्रत्यर्पण अब भी वैध, यहां चलेंगे मुकदमे: कोर्ट
एजेंसीMon, 05 Aug 2013 10:31 PM
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उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत के माफिया सरगना अबू सलेम के प्रत्यर्पण को समाप्त करने के बावजूद उसका प्रत्यर्पण अब भी वैध है। इसके साथ ही न्यायालय ने 1993 के मुम्बई बम विस्फोटों सहित विभिन्न मामलों में उसके खिलाफ मुकदमा जारी रहने का रास्ता साफ कर दिया।

उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि पुर्तगाल की सर्वोच्च अदालत का फैसला यहां की अदालतों के लिए बाध्यकारी नहीं है और उसने पुर्तगाल द्वारा सलेम के भारत को किए गए प्रत्यर्पण को समाप्त किए जाने के बाद अपने खिलाफ सारी कार्यवाही को निरस्त करने की मांग करने वाली सलेम की याचिका खारिज कर दी।

प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की पीठ ने केंद्र से अलग-अलग राय का समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच का दरवाजा खटखटाने या कूटनीतिक माध्यम से इसका समाधान निकालने को कहा। पीठ ने यह भी कहा, भारत और पुर्तगाल दोनों दो संप्रभु देश हैं जिनकी न्यायिक व्यवस्था सक्षम और स्वतंत्र है। परिणामस्वरूप स्पष्ट शब्दों में पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत का फैसला इस अदालत पर बाध्यकारी नहीं है और उसका मूल्य सिर्फ समक्षाने-बुझाने वाला है।

पीठ ने कहा कि प्रिंसिपल ऑफ स्पेशिएलिटी के उल्लंघन के संबंध में उच्चतम न्यायालय और पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत की अलग-अलग राय है। पीठ ने कहा कि भारत सरकार के पास उपलब्ध विकल्प यह है कि वह या तो अलग-अलग राय के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच का दरवाजा खटखटाए या कूटनीतिक माध्यम से उसका समाधान करे।

पीठ ने सलेम के खिलाफ मुकदमे के खिलाफ कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी और सलेम पर उसके प्रत्यर्पण के बाद टाडा और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत लगाए गए अतिरिक्त आरोपों को हटाने की भी सीबीआई को अनुमति दे दी।

पीठ ने कहा कि पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत ने साफ तौर पर कहा है कि पुर्तगाली कानून प्रिंसिपल ऑफ स्पेशियलिटी के उल्लंघन के लिए किसी विशेष परिणाम का प्रावधान नहीं करता है और उनके निष्कर्षों का अर्थ केंद्र को अपीलकर्ता को पुर्तगाल लौटाने के निर्देश के तौर पर नहीं निकाला जाना चाहिए बल्कि पुर्तगाल की सरकार के लिए एक कानूनी आधार के तौर पर समक्षा जाना चाहिए और उसे अपीलकर्ता को राजनैतिक या कूटनीतिक माध्यम से लौटाने की मांग करनी चाहिए थी, जिसे अटॉर्नी जनरल द्वारा दिए गए बयान के अनुसार अब तक नहीं किया गया है।

पीठ ने कहा कि उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर यह स्पष्ट है कि 28 मार्च 2003 का प्रत्यर्पण का आदेश अब भी वैध है और कानून की नजरों में प्रभावकारी है। सलेम ने पुर्तगाल के सुप्रीम कोर्ट द्वारा वहां की निचली अदालत के फैसले को बहाल रखे जाने के बाद भारत में विभिन्न अदालतों में अपने खिलाफ दायर मुकदमों को वापस बंद किए जाने का अनुरोध किया था । पुर्तगाल की निचली अदालत ने भारतीय अधिकारियों द्वारा निर्वासन नियमों का उल्लंघन किए जाने के आरोप में सलेम के प्रत्यर्पण को रद्द कर दिया था।

माफिया सरगना के प्रत्यर्पण के समय भारत ने पुर्तगाल को आश्वासन दिया था कि सलेम के खिलाफ ऐसे कोई आरोप नहीं लगाए जाएंगे जिनमें मौत की सजा तथा 25 साल से अधिक कैद का प्रावधान हो, लेकिन बाद में ऐसे आरोप लगा दिए गए।

उच्चतम न्यायालय ने टाडा अदालत के 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ सलेम की याचिका पर उसके मुकदमे पर रोक लगा दी थी । टाडा अदालत ने मुकदमा बंद किए जाने का उसका आग्रह खारिज कर दिया था ।

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