'गरीबी घटाने के लक्ष्य को 2015 तक हासिल करेगा भारत'
देश में व्यापक पैमाने पर गरीबी के बावजूद भारत गरीबी कम करने के संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) को हासिल करने की दिशा में उचित गति से अग्रसर है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में...
देश में व्यापक पैमाने पर गरीबी के बावजूद भारत गरीबी कम करने के संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) को हासिल करने की दिशा में उचित गति से अग्रसर है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया है कि भारत गरीबी में कमी के एमडीजी लक्ष्य को 2015 तक हासिल कर लेगा।
संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र द्वारा जारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव की शुक्रवार को जारी एमडीजी रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि, भारत में गरीबी व्यापक स्तर पर फैली है और इस दिशा में प्रगति उल्लेखनीय है। भारत में गरीबी की दर 1994 में 49 प्रतिशत थी, जो 2005 में घटकर 42 प्रतिशत पर और 2010 में 33 प्रतिशत पर आ गई। यदि यही रफ्तार जारी रहती है, तो भारत 2015 तक इस लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया तथा दक्षिण एशिया में अत्यंत गरीबी की दर तय समयसीमा से पांच साल पहले ही आधे पर आ गई है। हालांकि, इस मामले में भारत अपवाद रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोआर्डिनेटर लीस ग्रैंड ने कहा कि आठ लक्ष्यों से जुड़े 21 वैश्विक लक्ष्यों में से छह बेहद महत्वपूर्ण लक्ष्य पहले ही हासिल हो गए हैं। इनमें से सबसे उल्लेखनीय लक्ष्य वैश्विक स्तर पर बेहद गरीब आबादी में 50 प्रतिशत की कमी है।
वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी सम्मेलन में आठ लक्ष्य हासिल करने पर सहमति बनी थी। इनमें से कुछ उप लक्ष्यों में गरीबी, भुखमरी, स्वास्थ्य, लिंग भेद, शिक्षा और पर्यावरण संकेतक शामिल हैं। इन लक्ष्यों को 2015 तक हासिल किया जाना है।
रिपोर्ट में बताया गया कि दक्षिण पूर्व एशिया ने भूख के मोर्चे पर लक्ष्य को 2015 की समय सीमा से पहले हासिल कर लिया है। हालांकि, दक्षिण एशिया इस मामले में पीछे है। रिपोर्ट कहती है कि पूर्वी एशिया भूख समस्या लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि, दक्षिण एशिया में पिछले दो दशक में कुपोषित लोगों का आंकड़ा सिर्फ 26.8 प्रतिशत से घटकर 17.6 फीसदी पर ही आ पाया है, जो एमडीजी के लक्ष्य को पाने के लिए काफी नहीं है।
ग्रैंड ने कहा कि विकासशील देशों में 1990 में 1.25 डॉलर प्रतिदिन या इससे कम पर जीवनयापन करने वाले लोगों की संख्या 47 प्रतिशत थी, जो 2010 में घटकर 22 प्रतिशत रह गई। गैंरंड ने कहा कि इसका मतलब है कि आज 70 करोड़ कम लोग बेहद गरीबी की स्थिति में जीवनयापन कर रहे हैं। अति गरीबी की स्थिति सभी क्षेत्रों में घटी है। चीन इस मामले में सबसे आगे रहा है।
बच्चों के पोषण के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 में कम वजन वाले बच्चों की संख्या 2011 में दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा थी। यानी कि पांच साल से कम की उम्र के 31 प्रतिशत या 5.7 करोड़ बच्चे अंडरवेट थे।