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Hindi News विदेशियों को कथक सिखा रही झारखंड की बेटी प्रीति

विदेशियों को कथक सिखा रही झारखंड की बेटी प्रीति

थक नृत्य की सांस्कृतिक धरोहर को देश की सीमा के बाहर बतानेवाली प्रीति सिन्हा कहती हैं-वह परंपरा से प्राप्त अमूल्य धरोहर को भारतीयों के साथ विदेशियों को भी बांटना चाहती हैं। पद्म विभूषण बिराू महाराज की...

 विदेशियों को कथक सिखा रही झारखंड की बेटी प्रीति
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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थक नृत्य की सांस्कृतिक धरोहर को देश की सीमा के बाहर बतानेवाली प्रीति सिन्हा कहती हैं-वह परंपरा से प्राप्त अमूल्य धरोहर को भारतीयों के साथ विदेशियों को भी बांटना चाहती हैं। पद्म विभूषण बिराू महाराज की प्रिय शिष्या और झारखंड की बाला प्रीति ने इसे अपना मकसद बना लिया है। तभी तो उन्हें इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन की ओर से तजाकिस्तान भेजा गया है, जहां उन्हें दो वर्षो तक रह करवहां के लोगों के बीच भारतीय कला व संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही साथ लोगों को प्रशिक्षण भी देना है।ड्ढr प्रीति फरवरी 2008 में तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे पहुंचीं। फोन से बातचीत में अपने अनुभवों को बांटते हुए कहती हैं कि यहां मौसम, भाषा की समस्या के साथ खाने-पीने की समस्या भी है, लेकिन इन सबके बीच उसे भारतीय कला संस्कृति का प्रचार करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही । लोग उत्साहित हैं और उसके द्वारा सिखाये गये नृत्य को काफी प्रोत्साहन मिल रहा है। मंच पर उनके प्रदर्शन को काफी सराहना भी मिल रही है। इसके पूर्व प्रीति इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता और फिाी में एक महीने तक अपने कार्यक्रमों का प्रदर्शन कर चुकी हैं।ड्ढr प्रीति ने बताया कि फिाी में उसने रामायण को क्लासिक बेस पर बताया। फिलहाल प्रीति सिन्हा दुशांबे में सांस्कृतिक राजदूत बन कर काफी खुश हैं। कथक में पारंगत हासिल कर चुकीं प्रीति ने धनबाद से अपनी स्कूली और कॉलेज की शिक्षा प्राप्त कर नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ कथक केंद्र से कथक नृत्य सीखा है। इसके अलावा उसने अपने गुरु लखनऊ घराने के पंडित विराू महाराज, उनके पुत्र जयकिशन महाराज से नृत्य की बारीकियों को सीखा है। अपने अनूठे नृत्य का प्रदर्शन वह देश-विदेश में करने के साथ ही साथ कोरियन नर्तक के साथ भी नृत्य पेश कर चुकी हैं। इसके अलावा प्रीति की खासियत यह भी है कि वह पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने पखावज का भी प्रशिक्षण लिया है।ड्ढr सांस्कृतिक राजदूत बन तजाकिस्तान गयीं ं

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