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गंभीर संकट की ओर बढ़ रहे हम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि कोसी नदी का तटबंध टूटने के बाद हम गंभीर संकट की ओर बढ़ रहे हैं। इस समय पानी की मात्रा कम है, लेकिन उसके बढ़ने के बाद लोगों को बचने के लिए छत भी मयस्सर नहीं होगी।...

 गंभीर संकट की ओर बढ़ रहे हम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि कोसी नदी का तटबंध टूटने के बाद हम गंभीर संकट की ओर बढ़ रहे हैं। इस समय पानी की मात्रा कम है, लेकिन उसके बढ़ने के बाद लोगों को बचने के लिए छत भी मयस्सर नहीं होगी। उन्होंने इस खतर की चुनौती के लिए राज्य मशीनरी को चार-पांच दिनों का समय दिया है और कहा कि इस दौरान राहत और बचाव कार्यो को पूरी तरह लाइन-अप कर लिया जाए।ड्ढr नदी की मूल धारा बदलने से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए तकनीकी दल अपना काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि जो स्थिति है उसमें अगले दो-तीन महीने तक राहत कार्य चलाना होगा और सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार है। उनके अनुसार अगले चार-पांच दिनों में बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती है।ड्ढr ड्ढr उन्होंने तीनों जिलों में तैनात प्रभारी मंत्रियों से सभी दलों के लोगों से सहयोग लेने की भी अपील की। सोमवार को जनता दरबार के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने इस समस्या पर केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा राज्य सरकार की आलोचना पर गहरी नाराजगी प्रगट की और कहा कि हम भी उसका जवाब दे सकते हैं। लेकिन ऐसा करने पर माहौल बिगड़ जाएगा और हमारा यह ध्येय नहीं है। उन्होंने संकट की इस घड़ी में सबका पूर्ण सहयोग मांगा और कहा कि इस वक्त राजनीति नहीं होनी चाहिए। 17 अगस्त को उन्होंने खुद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी से बात की थी। गत वर्ष बिहार द्वारा बाढ़ राहत कार्य चलाए जाने के बाद केन्द्र ने एक छटांक नहीं दिया और अब आरोप-प्रत्यारोप में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय मामला है और ऐसे मामलों में देश में कभी ‘दो आवाज’ नहीं उठी। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से अपील की कि वे इस वक्त बिहार के लोगों को ‘डिवाइड’ करने की कोशिश न करं। बाढ़ के लिए राज्य सरकार जिम्मेदारड्ढr पटना(हि.ब्यू.)। राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने उत्तर बिहार में आई बाढ़ के लिए राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराया है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी ने कहा कि तटबंध टूटने की आशंका पहले से थी। इसके बाद भी बचाव के उपाय नहीं किए गए। उन्होंने बाढ़ग्रस्त पांच जिलों को सेना के हवाले करने की मांग की। श्री सिद्दीकी ने राजद कार्यकर्ताओं को राहत वितरण में सहयोग करने सलाह दी है। भाजपा सांसद डा. सीपी ठाकुर ने कहा कि बाढ़ राहत में सभी वर्गों के सहयोग की जरूरत है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि जल संसाधन मंत्री अपने किसी चहेते को तटबंध की मरम्मत का ठेका देना चाहते थे। इसीके चलते समय पर तटबंध की मरम्मत नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि उनके आरोपों की जांच हो तो जल संसाधन का अपराध साबित हो जाएगा। श्री शर्मा ने विभागीय मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की। माकपा ने बाढ़ राहत न उपलब्ध कराने के लिए राज्य के साथ केंद्र सरकार की भी आलोचना की। माकपा ने कहा कि दोनों सरकारं स्टंटबाजी में लगी हैं।ड्ढr पार्टी ने सभी दलों से दलगत भावना से निकलकर पीड़ितों के बीच राहत चलाने की अपील की। भाकपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य जब्बार आलम ने कहा कि बाढ़ में घिर लोगों को निकालना सबसे जरूरी है। अगर और देरी हुई तो हाारों लोगों की जान जा सकती है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकारी मशीनरी सक्रिय रूप से काम नहीं कर रही हैं। पंचायत की राजनीति में दखल दिया तो बर्खास्तगीड्ढr पटना (हि.ब्यू.)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जो बीडीओ पंचायत की अंदरूनी राजनीति में दखल देंगे, वे बर्खास्त भी हो सकते हैं। सोमवार को पंचायत प्रतिनिधियों से मुलाकात के क्रम में प्रखंड प्रमुखों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने तत्काल मुख्य सचिव को इसकी जांच करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे किसी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता कि बीडीओ पालीटिक्स करं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के दरबार से उन्हें बेहतर फीड बैक मिलता है, जिसका उपयोग में विभिन्न योजना बनाने में करते हैं। उन्होंने प्रखंड प्रमुखों को आश्वस्त किया कि वे उनकी समस्या को हर स्तर पर दूर किया जाएगा। उन्होंने पंचायती राज प्रतिनिधियों द्वारा वित्तीय अधिकार देने जैसी मांगों की समीक्षा का भी भरोसा दिलाया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सीएम-पीएम चेक नहीं काटते, लिहाजा एक जनप्रतिनिधि के नाते वे ऐसा कैसे करंगे? पुरानी सरकार द्वारा वित्तीय अधिकार देने का उल्लेख करने पर उन्होंने कहा कि उस समय घोषणा की गई कि किसानों को मुफ्त बिजली देंगे, गांवों में बिजली थी ही नहीं तो मुफ्त बांटते रहिए। इसी तरह ऐसा वित्तीय अधिकार किस काम का कि कंगाल बैंक का चेक काटने का अधिकार दे दिया जाए। काम है ही नहीं तो चेक काहे का?ं

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