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निजी स्कूलों में गरीबों के नामांकन पर जज करेंगे फैसला

गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए समाज के आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के 25 प्रतिशत छात्रों को नामांकन करने की बाध्यता पैदा करने वाले अनुच्छेद 15(5) को चुनौती देने वाली याचिका पर...

निजी स्कूलों में गरीबों के नामांकन पर जज करेंगे फैसला
एजेंसीSun, 24 Mar 2013 11:32 PM
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गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए समाज के आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के 25 प्रतिशत छात्रों को नामांकन करने की बाध्यता पैदा करने वाले अनुच्छेद 15(5) को चुनौती देने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ सुनवाई करेगी।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को विभिन्न राज्यों के निजी स्कूलों के प्रबंधन ने चुनौती दी है। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्ण और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इस मुद्दे को सुनवाई के लिए उपयुक्त पीठ के हवाले करने के लिए अदालत के रजिस्ट्री को मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया।

कर्नाटक के प्रमति शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक न्यास एवं अन्य की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अंकित गोयल ने दलील दी कि अदालत के 6 सितंबर 2010 के आदेश को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को सुनवाई के लिए वृहद पीठ को सौंपा जाना चाहिए। इसके बाद अदालत ने उपर्युक्त निर्देश दिया।

राजस्थान के गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की सोसायटी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति (अब सेवानिवृत) स्वतंत्र कुमार ने 6 सितंबर 2010 को कहा था, ‘‘चूंकि दी गई चुनौती में संविधान के अनुच्छेद 15(5) और 21-ए की वैधता पर सवाल खड़े किए गए हैं इसलिए हमारा मत है कि मुद्दे को पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के पास भेजे जाने की जरूरत है।’’

आर्थिक एवं समाजिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के छात्रों को 25 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के मामले में गैर सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों को गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों के समान हैसियत की मांग करने वाली अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय ने 8 अक्टूबर 2012 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

अर्जी में उल्लेख किया गया था कि अनुच्छेद 15(5) संविधान के आधारभूत ढांचे का अधिकारातीत है, क्योंकि यह शिक्षण संस्थानों के दो समरूप वर्ग में अल्पसंख्यक और गैर अल्पसंख्यक हैसियत के आधार पर भेदभाव करता है।

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