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दिल्ली पुलिस रुख पर कायम, किया आतंकी का स्केच जारी

भारत-नेपाल सीमा पर चार दिन पहले गिरफ्तार किये गए कथित आतंकी की गिरफ्तार को लेकर जारी विवाद से अप्रभावित दिल्ली पुलिस ने रविवार को फिदायीन हमले की साजिश से जुड़े हिजबुल मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी का...

दिल्ली पुलिस रुख पर कायम, किया आतंकी का स्केच जारी
एजेंसीSun, 24 Mar 2013 11:15 PM
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भारत-नेपाल सीमा पर चार दिन पहले गिरफ्तार किये गए कथित आतंकी की गिरफ्तार को लेकर जारी विवाद से अप्रभावित दिल्ली पुलिस ने रविवार को फिदायीन हमले की साजिश से जुड़े हिजबुल मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी का स्केच जारी किया।

स्केच उस व्यक्ति का है जो पुरानी दिल्ली में एक गेस्ट हाउस में ठहरा और वहां 20 मार्च को गिरफ्तार लियाकत अली शाह के लिए कथित तौर पर एक के 56 राइफल और गोला बारूद छोड़ दिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने शाह से पूछताछ के बाद गेस्ट हाउस से हथियार और गोला बारूद बरामद किया और अब स्केच की मदद से उक्त व्यक्ति को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

अधिकारी ने कहा कि हमने सीसीटीवी फुटेज और होटल के कर्मचारियों के ब्यौरे के आधार पर स्केच तैयार किया है। दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने दावा किया है कि उसने शाह को गिरफ्तार कर दिल्ली में फिदायीन हमले की कोशिश को नाकाम कर दिया है। पुलिस ने शाह को हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी बताया और अफजल गुरू को फांसी दिये जाने का बदला लेने के लिए हमला करने की योजना बनाने की बात कही है।

शाह की गिरफ्तारी के बाद विवाद उत्पन्न हो गया। जम्मू कश्मीर सरकार और पुलिस ने दिल्ली पुलिस के रुख का प्रतिवाद किया कि वह होली के दौरान आतंकी हमले की योजना का समन्वय करने के सिलसिले में दिल्ली आ रहा था। जम्मू कश्मीर पुलिस ने शाह के परिवार के उस दावे का समर्थन किया कि वह पूर्व आतंकी था जिसने नेपाल सीमा पर सनौली सीमा चौकी पर एसएसबी के समक्ष आत्म समर्पण किया था और पाक अधिकृत कश्मीर से वापस लौटने वाले समूह का हिस्सा था जो जम्मू कश्मीर सरकार के पुनर्वास नीति का हिस्सा है।

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से इस विषय पर बातचीत की और एनआईए से इसकी जांच कराये जाने की मांग की। उमर ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर आत्मसमर्पण करने आ रहा था। गौरतलब है कि राज्य में विश्वास बहाली के कदम के तहत गृह मंत्रालय के साथ समझ बनाकर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1990 के दौरान आतंकवाद से जुड़ने वाले युवकों के नेपाल के रास्ते लौटकर घाटी में पुलिस या सेना के समक्ष आत्मसमर्पण करने की अनुमति देने की बात कही है।

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