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राजनीति में जमाई इन्होंने धाक...पतियों ने निभाया हमेशा साथ

खुदी को कर बुलंद इतना, हर तदबीर से पहले, खुदा खुद बंदे से पूछे, बता तेरी रजा क्या है। यह पंक्तियां उन महिला राजनेताओं पर बिल्कुल फिट बैठती हैं, जिन्होंने अपने बलबूते भारतीय राजनीति में अलग धाक जमाई...

राजनीति में जमाई इन्होंने धाक...पतियों ने निभाया हमेशा साथ
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 08 Mar 2013 01:03 PM
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खुदी को कर बुलंद इतना, हर तदबीर से पहले, खुदा खुद बंदे से पूछे, बता तेरी रजा क्या है। यह पंक्तियां उन महिला राजनेताओं पर बिल्कुल फिट बैठती हैं, जिन्होंने अपने बलबूते भारतीय राजनीति में अलग धाक जमाई है। राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाली इन महिलाओं में से कई ने लंबी पारियां खेली हैं।

आमतौर पर यही धारणा है कि हर कामयाब पुरुष के पीछे एक महिला होती है। मगर कभी किसी ने इस ओर ध्यान दिया है कि जो महिलाएं कामयाबी की बुलंदियों को छूती हैं, उनकी सफलता का श्रेय किसे दिया जाना चाहिए? क्या उनकी सफलता की धुरी उनके पति हैं? क्या उन्होंने अपनी पत्नी को वह सब कुछ दिया, जो उसे आगे बढ़ने के लिए और मान-सम्मान अनिवार्य था?

राजनीति के क्षेत्र में जिन महिलाओं ने अपना परचम फहराया है, क्या उनके पीछे उनके पति और पिता का हाथ नहीं है? आज एक नहीं, दर्जनों महिला राजनीतिज्ञ हमारे सामने हैं, जिनकी सफलता के सोपान में उनके पति का साथ रहा है। कई महिलाएं ऐसी हैं, जिनके पति का नाम पूछने पर लोग सोचने पर विवश हो जाएंगे।

भारतीय राजनीति में अपनी धाक जमा चुकीं लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी, रेणुका चौधरी, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया सरीखी नेत्रियों के पति का नाम कितने लोगों को जुबानी याद होगा?

सच तो यह है कि आए दिन सफलता की नई इबारत लिख रही महिलाओं के पीछे भी किसी न किसी रूप में पुरुषों का सहयोग जरूर है। फिर चाहे वे मनोबल और मार्गदर्शन देने वाले पिता हों, संबल देने वाला जीवनसाथी या बहन की सफलता से गौरवान्वित होने वाला भाई।

आइये आपको बताते हैं भारतीय राजनीति की ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में, जिनके पति नेपथ्य में रहकर अपना काम कर रहे हैं...

मीरा कुमार-मंजुल कुमार
मीरा कुमार को राजनीति विरासत में मिली है। पूर्व उप प्रधानमंत्री स्वर्गीय जगजीवन राम की पुत्री के रूप में उन्हें एक विशाल जनाधार मिला। मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च, 1945 को बाबू जगजीवन राम और इन्द्राणी देवी के यहां बिहार में हुआ था। मीरा कुमार ने अपनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल की। मीरा कुमार ने भारत के उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता मंजुल कुमार से विवाह किया। उनके एक पुत्र (अंशुल) एवं दो पुत्रियां (स्‍वाति और देवांगना) हैं।

मीरा कुमार 1973 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुई। वे कई देशों में नियुक्त रहीं और बेहतर प्रशासक साबित हुईं। राजनीति में उनका प्रवेश 80 के दशक में हुआ था। 1985 में वे पहली बार बिजनौर से संसद में चुन कर आईं। 1990 में वे कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी समिति की सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव भी चुनी गईं। 1996 में वे दूसरी बार सांसद बनीं और तीसरी पारी उन्होंने 1998 में शुरू की, 2004 में बिहार के सासाराम से लोकसभा चुनाव जीतीं।

2004 में यूपीए सरकार में उन्हें सामाजिक न्याय मंत्री बनाया गया। 2009 में वे पांचवीं बार संसद के लिए चुनी गई हैं। मीरा कुमार भारत की पहली महिला लोकसभा स्पीकर हैं। उनके बारे में इस प्रकार की पूरी जानकारी लोगों के पास हैं, लेकिन उनके पति मंजुल कुमार के बारे में? बहुत कम लोगों को पता है कि हर चुनावी अभियान में वे पूरी तरह से मीरा कुमार के साथ होते हैं। अन्य दिनों में भले ही वे अपने पेशे में सक्रिय होते हैं, लेकिन चुनाव में पूरी तरह से पत्नी का साथ देते हैं।

सुषमा स्वराज-स्वराज कौशल
भाजपा की तेजतर्रार नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, यह है सुषमा स्वराज की पहचान, लेकिन उनके पति कौन हैं? स्वराज कौशल जब राज्यपाल हुआ करते थे, तो जरूर चर्चा में थे, लेकिन वर्तमान में वे नेपथ्य में हैं। स्वराज कौशल छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे और मिजोरम में राज्यपाल भी रहे। स्वराज कौशल अभी तक सबसे कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं।

सुषमा स्वराज और उनके पति की उपलब्धियों के ये रिकॉर्ड ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज करते हुए उन्हें विशेष दंपत्ति का स्थान दिया गया है। स्वराज दंपत्ति की एक पुत्री है, जो वकालत कर रही हैं। हरियाणा सरकार में श्रम और रोजगार मंत्री रहने वाली सुषमा छावनी से विधायक बनने के बाद लगातार आगे ही बढ़ती गईं। आज दिल्ली की राजनीति में उनका खासा प्रभाव है। भारतीय राजनीति में स्वराज कौशल को एक बेहतर राजनीतिज्ञ के रूप में जाता है।

वसुंधरा राजे-हेमंत सिंह
वसुंधरा राजे ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उनकी पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं। वसुंधरा की शादी धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंत सिंह के साथ हुई, जिसके बाद वे राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हो गईं। वे पढ़ाई, संगीत, घुड़सवारी, फोटोग्राफी और बागबानी की शौकीन हैं। महंगी साड़ियां पहनना और उच्च रहन-सहन वसुंधरा राजे का शौक है। यह रुतबा देख कर राजस्थान की जनता ही नहीं, पक्ष-विपक्ष के नेता भी विधानसभा में उन्हें महारानी कहते हैं।

वसुंधरा 1984 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं। उनकी कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-1999 में अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। फिर अक्टूबर, 1999 में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री के रूप में लघु उद्योग के साथ-साथ कार्मिक, पेंशन, न्यूक्लियर एनर्जी के अतिरिक्त विभाग को भी संभाला। 1 दिसंबर, 2003 में वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए 2007-2008 के बजट में शिक्षा, रोजगार, बाल विवाह प्रथा पर रोक जैसे पांच सूत्री कार्यक्रम बनाए थे।

एक तरफ वसुंधरा राजे हर स्तर पर चर्चित होती गईं, तो राजा हेमंत सिंह अपने रियासत और कारोबार से ही जुड़े रहे। जब वसुंधरा मुख्यमंत्री आवास में सक्रिय रहीं, उस समय भी हेमंत सिंह सार्वजनिक मंचों पर नहीं दिखते थे। पारिवारिक कार्यक्रमों के अलावा शायद ही कभी वे सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपनी पत्नी के साथ दिखे। इसका मतलब यह नहीं कि वे पत्नी का सहयोग नहीं करते। सार्वजनिक जीवन में भी जब वसुंधरा को अपने पति का साथ चाहिए था, पति ने आगे बढ़ाकर उनका साथ निभाया।

अंबिका सोनी-उदय सी.सोनी
उदय सी. सोनी उन्हीं पतियों में से एक हैं, जो अपनी पत्नी अंबिका सोनी की सफलता के पीछे खड़े हैं। पूर्व राजनयिक रह चुके उदय का अपनी पत्नी के बारे में कहना है कि वह एक काबिल और मेहनती इंसान हैं और उनकी निष्ठा असंदिग्ध है। उदय का कहना है कि वे महसूस करते हैं कि उनकी पत्नी पूरी सजगता के साथ सभी जिम्मेदारियों को पूरा करती हैं। ड्यूटी उनकी प्राथमिकता है, लेकिन इसका असर वह अपने परिवार पर नहीं पड़ने देती हैं।

एक बार बातचीत के क्रम में उदय सोनी ने कहा था कि वह ऐसा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। जब वे 30 साल तक विदेश में नियुक्त थे, तब भी अपने बच्चों और मेरे लिए समय निकाल लेती थीं। उन्होंने काम के मामले में दखलअंदाजी नहीं करने की नीति अपनाई। सार्वजनिक जीवन और सरकार के अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के कारण अंबिका सोनी को कई बार अपने कामों का निपटारा करने के लिए घर पर भी काम करना होता है। उदय सोनी बताते हैं कि वह दफ्तर का भी ढेर सारा काम घर पर ले आती हैं, लेकिन मैं उसमें दखल नहीं देता है। मैं राजनीति से दूरी बनाए रखता हूं।

दरअसल, अंबिका सोनी के पति भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे हैं। राजनीति में आने से पहले अंबिका अपने पति के साथ उनकी नियुक्ति वाले देश में रहती थीं। बच्चों की देखभाल और परिवार संभालना उनकी जिम्मेदारी थी, लेकिन इंदिरा गांधी जब उन्हें राजनीति में लेकर आईं, तो उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि एक खासियत यह भी है कि राजनीति के उनके लंबे सफर में परिवार भी बराबर साथ रहा। अंबिका चाहे कांग्रेस पार्टी की ताकतवर महासचिव रही हों या मंत्री, जब भी परिवार को उनकी जरूरत हुई, हमेशा उनके साथ रहीं।

रेणुका चौधरी-श्रीधर चौधरी
श्रीमती रेणुका चौधरी फिलहाल कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा में सांसद हैं। उन्होंने औद्योगिक मनोविज्ञान में एमए की डिग्री हासिल की है। श्रीमती चौधरी का राजनीति में प्रवेश तेलूगुदेशम पार्टी के मंच से 1984 में हुआ, जिसके साथ वे 1998 तक रहीं। 1998 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता हासिल की। तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा में लगातार दो बार खम्मम सीट का प्रतिनिधित्व किया। उनके पति श्रीधर चौधरी हरसको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हैं। एक सार्वजनिक जीवन में शिखर पर, तो दूसरा व्यवसाय के क्षेत्र में अव्वल।

जयाप्रदा-श्रीकांत नाहटा
बॉलीवुड की दुनिया से राजनीति में अपना वजूद स्थापित करने वाली नेत्रियों में जयाप्रदा का नाम प्रथम पंक्ति में आता है। बॉलीवुड में अपनी सशक्त अभिनय के बूते कई पुरस्कार और सम्मान हासिल करने के साथ ही जयाप्रदा ने राजनीति में कदम रखा। 1994 में उनके पूर्व साथी अभिनेता एन.टी. रामाराव ने तेलूगुदेशम पार्टी में शामिल कर लिया। बाद में उन्होंने रामराव से नाता तोड़ लिया और पार्टी के चंद्रबाबू नायडू वाले गुट में शामिल हो गईं।

वर्ष 1996 में उन्हें आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्यसभा में मनोनीत किया गया। पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के साथ मतभेदों के कारण, उन्होंने तेदेपा को छोड़ दिया और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं। वर्ष 2004 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के रामपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ीं और सफल रहीं। कई बार तत्कालीन सपा महासचिव अमर सिंह के संबंधों को लेकर वह चर्चा में रहीं।

1986 में जयाप्रदा ने निर्माता श्रीकांत नाहटा से शादी की, जो पहले से ही चंद्रा के साथ विवाहित थे, जिससे उनके 3 बच्चे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इस शादी ने काफी विवादों को जन्म दिया, विशेषकर इसलिए कि नाहटा ने अपनी वर्तमान पत्नी को तलाक नहीं दिया और अपनी पहली पत्नी के साथ, जयाप्रदा से शादी करने के बाद भी बच्चे पैदा किए। जयाप्रदा और श्रीकांत के कोई बच्चे नहीं हैं, लेकिन जयाप्रदा ने संतान की इच्छा कभी व्यक्त नहीं की थी। उनके पति ने कभी राजनीति में आने का विरोध नहीं किया और जितना संभव हो सका, जयाप्रदा का उत्साहवर्धन किया।

जया जेटली-अशोक जेटली
भारतीय राजनीति में मजूदरों और उपेक्षितों की राजनीति कर सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले राजनेता जॉर्ज फर्नांडीस से संबंधों के कारण चर्चा में आईं जया जेटली का राजनीतिक जीवन काफी उथल-पुथल भरा रहा है। जॉर्ज फर्नांडीस के साथ विभिन्न रूपों में उनका नाम जोड़ा गया, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जया के पति अशोक जेटली एक वरिष्ठ नौकरशाह रहे हैं।

दिल्ली में मिरांडा हाउस और सेंट स्टीफंस कॉलेज के दिनों में जया-अशोक की मुलाकात हुई और धीरे-धीरे बढ़ता संबंध 1965 में दांपत्य जीवन के वटवृक्ष के रूप में सामने आया। वर्ष 1965 में जब दोनों की शादी हुई, उस समय अशोक जेटली भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में जम्मू-कश्मीर में पदस्थ थे। आपातकाल के बाद अशोक जेटली का तबादला दिल्ली हो गया और उसी के बाद शुरू हुआ जया का सार्वजनिक जीवन।

अपने पुराने संगी-साथियों के साथ जया सामाजिक आंदालनों से जुड़ती गईं और उसी दौरान मधु दंडवते से प्रभावित होकर वह जॉर्ज सरीखे लोगों के संपर्क में आईं। शुरुआत में सार्वजनिक जीवन में उन्हें अपने पति का भरसक सहयोग मिला, लेकिन दोनों का लक्ष्य और कार्यशैली अलग-अलग था। लिहाजा, आपसी रजामंदी से जया-अशोक ने अलग-अलग रास्ता अख्तियार कर लिया।

सुमित्रा महाजन-जयंत महाजन
सुमित्रा महाजन मध्य प्रदेश भाजपा की कद्दावर नेता हैं। इंदौर लोकसभा का प्रतिनिधित्व करती हैं और मानव संसाधन और पेट्रोलियम जैसे महत्वपूर्ण विभागों के केंद्रीय राज्य मंत्री के पद को भी सुशोभित कर चुकी हैं। नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा की सदस्य चुनी गईं। आज भी प्रदेश की राजनीति इनके इर्द-गिर्द घूमती है। इनके पति जयंत महाजन सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहे हैं।

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