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गुरुजी के नेतृत्व में नये झारखंड का उदय

वैसे तो झारखंड पिछली शताब्दी के अंतिम वर्ष में ही बन चुका था तथा झारखंड के लोगों ने उसे उस समय इस नयी शताब्दी के लिए एक नायाब तोहफा भी माना था। तब से आठ वर्ष होने को आये, इस बीच झारखंड ने विकास के...

 गुरुजी के नेतृत्व में नये झारखंड का उदय
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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वैसे तो झारखंड पिछली शताब्दी के अंतिम वर्ष में ही बन चुका था तथा झारखंड के लोगों ने उसे उस समय इस नयी शताब्दी के लिए एक नायाब तोहफा भी माना था। तब से आठ वर्ष होने को आये, इस बीच झारखंड ने विकास के नये-नये रास्ते भी खोजे। हम कुछ दूर चले भी। आज भी चल रहे हैं। परंतु हमारी गति लगातार एक जैसी नहीं रही। पिछले आठ वर्ष में एक अच्छी बात जरूर हुई है कि झारखंड की राजनीतिक सड़कें कितनी घुमावदार और भटकाने वाली हैं, इसे झारखंड का बच्चा-बच्चा जानने और समझने लगा है।झारखंड के लोगों के मन में पिछले 23 महीनों की सरकार के बार में जो धारणा बनी थी, उसे एक वाक्य में कहा जा सकता है कि ‘विपरीत परिस्थितियों में भी वह सरकार चलती रही।’ लेकिन सरकार चलती रही, इसमें सबसे अधिक योगदान जिस एक व्यक्ित का था उन्हें ही हम सब गुरुजी नाम से जानते हैं। वे स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष भी थे तथा जब कभी सरकार को गिराने के लिए अंदर या बाहर से कोई तूफान खड़ा होता, कोई उठापटक होती, तो गुरुजी चट्टान की तरह उसके सामने अपना सीना तानकर खड़े हो जाते थे। उन्होंने लगातार यूपीए सरकार के कुनबे को एक अभिभावक के रूप में समेट कर रखा, संभाल कर रखा। और यही कारण है, जिससे जब उनके सेनापति बनाने की बारी आयी तो वे सभी उनके समर्थन में एकजुट हो गये, जिनके बार में कभी मीडिया ने रंग-बिरंग के समाचार प्रकाशित किये थे।हम पिछली सरकार के भी घटक थे, आज नयी सरकार के भी घटक हैं। अंतर केवल इतना ही है कि आज हमारा नेता, हमारा सेनापति बदल चुका है। हमें गर्व है कि हमारा सेनापति झारखंड का सबसे बड़ा जननेता है। उसके कद का कोई दूसरा नेता आज झारखंड में नहीं है। विपक्ष की व्यूहरचना को देखकर युद्ध के मैदान में सेनापति बदलने की परंपरा इस देश में पहले से ही रही है और यही झारखंड में भी हुआ। गुरुजी के मुख्यमंत्री बनने से इस राज्य के सभी आदिवासी तथा मूलवासी प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। उनकी यह प्रसन्नता निराधार नहीं है। एक तो उनका जन्म ही गरीबों के गांव में हुआ। उनके पिता एक शिक्षक रहते हुए भी उस समय के महाजनों के शोषण के विरुद्ध न केवल स्वयं संघर्ष किया, बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी उन्होंने हर अन्याय के विरुद्ध कमर कसकर खड़े होने की प्ररणा दी।ड्ढr गरीब और गरीबी को जितने करीब से गुरुजी ने देखा, जो संघर्ष किया, वह किसी अन्य झारखंड के नेता के नहीं किया। झारखंड का जन्म जिस लंबे संघर्ष के कारण संभव हुआ, उसके सबसे बड़े सर्वमान्य नेता गुरुजी ही थे। आज उनको अपना मुख्यमंत्री देखकर उन आंदोलनकारियों के मन में कितनी खुशी हो रही होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। इस राज्य का यह दुर्भाग्य ही था कि जिस व्यक्ित ने कभी जेल की हवा नहीं खायी, पुलिस की लाठी की मार नहीं झेली, उसके हाथ में झारखंड की पहली सरकार की बागडोर थमा दी गयी।दूसरी बात यह है कि झारखंड के सभी दलों के नेताओं की बागडोर उन दलों के आलाकमान के हाथों में ही रहती है, जिससे राज्य के हित में किसी भी प्रकार का निर्णयलेने में वे स्वतंत्र भी नहीं रहत। लेकनि आज गुरुजी के रूप में झारखंड का असली आलाकमान ही मानो राज्य के विकास की कुंजी अब अपने हाथों में ले चुकी है।अपनी पहली हीकैबिनेट की बैठक में गुरुजी ने एक ओर यदि राशन, किरासन की काला बाजारियों पर सख्त कार्रवाई करने पर जोर दिया तो दूसरी ओर उन्होंने टाटा को एक नंबर झारखंडी मानते हुए सस्ते कार की योजना को झारखंड में लाने का प्रस्ताव भी दिया।यह भी कोई छोटा-मोटा चमत्कार नहीं होगा कि गुरुजी के आने मात्र से झारखंड में लाल फीताशाही स्वयं खत्म हो जायेगी। उनका व्यक्ितत्व ही इतना विशाल है कि बड़े-बड़े दावपेंच लगाने वाले अधिकारी भी सहमे रहेंगे और उनकी दृष्टि इतनी पैनी है तो सीधे आम नागरिकों के हृदय में उठने वाली हर हलचलों को भी पहचानती रही है। इसलिए गरीबों कोहित कैसे सध सकेगा? समाज के सभी वर्ग के लोग एक-दूसर के साथ रहकर कैसे आगे बढ़ सकेंगे? इन सारी बातों को उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन के स्कूल में बहुत हपले ही सीख लिया है। उनके निर्भीक, जुझारु एवं बेवाक व्यक्ितत्व से ही झारखंड विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने राज्य के उद्योगपतियों को भी निर्भीक होकर अपना कामकरने का आश्वासन दिया है।मुझे विश्वास है कि गुरुजी का कार्यकाल राज्य के विकास के इतिहास मेंमीलको पत्थर साबित होगा तथा आम नागरिकों को भी यह अनुभव होगा कि उन्हीं के बीच का एक व्यक्ित अब उनकी देखभाल का जिम्मा ले चुका है।सबसे बड़ी बात तो यह है कि गुरुजी को किसी के द्वारा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, क्योंकि उन्हें राज्य की सभी समस्याओं की स्वयं पहचान है। अतउ: उनके निदान कैसे होंगे यह भी उन्हं कभी विचलित नहीं कर सकेगा और उनकी सरकार अपना कार्यकाल अप्रत्याशित यश और प्रतिष्ठान के साथ पूरा करगी। लेखक झारखंड सरकार के मंत्री हैं। ड्ढr

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