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विवादों से बचने के लिए शिवराज हुए 'मौनी बाबा'

देश से लेकर दुनिया तक के तमाम मसलों पर बयान देने के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आजकल 'मौनी बाबा' हो गए हैं। उनकी अचानक चुप्पी यहां के राजनीतिक गलियारे में आश्चर्य और चर्चा...

विवादों से बचने के लिए शिवराज हुए 'मौनी बाबा'
एजेंसीSat, 23 Feb 2013 11:17 AM
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देश से लेकर दुनिया तक के तमाम मसलों पर बयान देने के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आजकल 'मौनी बाबा' हो गए हैं। उनकी अचानक चुप्पी यहां के राजनीतिक गलियारे में आश्चर्य और चर्चा का विषय है।

माना जा रहा है कि राज्य में इसी साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसके पहले चरण में विपक्ष को सेंतमेत में कोई मुद्दा हाथ न लगने देना है। शायद इसी रणनीति को अपनाते हुए मुख्यमंत्री 'मौनी बाबा' बन गए हैं। 

भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक का दारोमदार मुख्यमंत्री चौहान की छवि और कार्यप्रणाली पर टिका है। पार्टी से लेकर सरकार भी उनकी छवि पर आंच नहीं आने देना चाहती। यही कारण है कि चौहान या करीबी पर आरोप लगने की दशा में पूरी सरकार और संगठन उनके पीछे खड़ा रह रहा है।

सरकार व मुख्यमंत्री पर लगने वाले आरोपों का जवाब अब मुख्यमंत्री नहीं दे रहे हैं। इनका जवाब या तो उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय या फिर स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्र देते हैं। इतना ही नहीं राज्य में घटित होने वाली बड़ी घटनाओं व विवादित मुद्दों से दूरी बनाए रखने में ही चौहान भलाई समझने लगे हैं।

बीते कुछ दिनों में राज्य की बड़ी घटनाओं में भोपाल की एक मासूम के साथ दुष्कर्म व उसकी हत्या, भोजशाला विवाद, गेमन इंडिया जमीन आवंटन प्रकरण, रीवा निर्माणाधीन इमारत हादसा पर मुख्यमंत्री की ओर से किसी तरह का वक्तव्य नहीं आया। ये विवादित मुद्दे थे और चौहान ने इनसे दूरी बनाए रखने के साथ चुप रहना ही मुनासिब समझा। विधानसभा में कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने की बजाय उन्हें झूठा करार दे दिया। मासूम की लाश प्रदेश के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता के आवास से महज 100 मीटर की दूरी पर बरामद हुई थी।

मुख्यमंत्री चौहान द्वारा विधानसभा में गेमन इंडिया, आदिवासियों के लाभांश वितरण सहित कई घोटालों के आरोपों का जवाब न दिए जाने पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का मानना है कि मुख्यमंत्री ने आरोपों को स्वीकार कर लिया है।

इस बारे में सूत्रों ने कुछ अलग ही तरह का खुलासा किया। उनके मुताबिक गुजरात में नरेंद्र मोदी को चुनाव जिताने वाली एक कंपनी से मध्य प्रदेश परामर्श ले रही है। उस कंपनी से जुडेम् लोगों ने मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि सार्वजनिक तौर वे अपनी उपलब्धियां तो गिनाएं मगर विवादित मसलों से लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देने से बचें। कंपनी की सलाह के मुताबिक ही चौहान विवादित मसलों पर राय जाहिर करने से कतराने लगे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया का भी मानना है कि चौहान चुनाव से पहले अपने को किसी तरह के विवाद में नहीं लाना चाहते हैं। उनकी कोशिश खुद को विवादित मुद्दों से दूर रखने की है। भोजशाला का मसला हो या कोई और चौहान ने सरकार के कमजोर लोगों को जवाबदेही दी। ऐसा इस बात को ध्यान में रख कर किया कि मामला बिगड़ने की सूरत में उनके पास उसे संभालने का अवसर बना रहे।
 
राज्य के राजनीतिक दल पूरी तरह चुनावी मोड में आ गए हैं। विपक्ष जहां अपनी रणनीति बनाकर सरकार को घेरने में जुटा है वहीं सत्तापक्ष अपनी कारगर रणनीति से विपक्ष को खाली हाथ रखना चाहता है। और मुखिया का मौन व्रत इसमें सबसे बड़ा हथियार है।

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