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डीजल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होगी वापस: मोइली

डीजल कीमतों में 45 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि को मामूली करार देते हुए पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने इसे वापस लिए जाने की संभावना से शनिवार को इन्कार किया। उन्होंने कहा कहा कि रेलवे जैसे बड़े...

डीजल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होगी वापस: मोइली
एजेंसीSat, 19 Jan 2013 11:09 PM
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डीजल कीमतों में 45 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि को मामूली करार देते हुए पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने इसे वापस लिए जाने की संभावना से शनिवार को इन्कार किया। उन्होंने कहा कहा कि रेलवे जैसे बड़े ग्राहकों को बाजार मूल्य पर ईंधन खरीदने के लिए अपने बजट से ही इंतजाम करना होगा।

यहां कांग्रेस के चिंतन शिविर में शामिल होने आए मोइली ने इस बारे में संवाददाताओं के एक सवाल पर कहा कि नहीं, मूल्यवृद्धि को वापस लिए जाने का कोई सवाल नहीं है। सरकार ने अभी दो दिन पहले खुदरा ग्राहकों के लिए डीजल की खुदरा कीमतों में 45 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। रेलवे जैसे थोक खरीददारों के लिए डीजल का दाम 10 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया गया है।

डीजल के दाम चार माह बाद बढाए गए हैं। स्थानीय बिक्रीकर या वैट को जोड़ने के बाद दिल्ली में डीजल का दाम 50 पैसे बढ़कर 47.65 रुपए प्रति लीटर हो गया है। वहीं बड़े ग्राहकों को दिल्ली में डीजल के लिए 56.88 रुपए प्रति लीटर का दाम चुकाना होगा। देश में डीजल की कुल खपत में थोक में लेने वाले ग्राहकों की हिस्सेदारी 17.77 प्रतिशत है।

सरकार ने अपने 17 जनवरी के फैसले को नियंत्रणमुक्त किया जाना कहने से इनकार किया है। हालांकि, सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों को प्रति माह 50-50 पैसे तक दाम बढाने की छूट दे दी है ताकि धीरे-धीरे डीजल की बिक्री पर उन्हें हो रहा नुकसान समाप्त हो जाए। इस समय आयात मूल्य से तुलना करने पर सरकारी कंपनियों को इस पर 9 रुपए प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है।

मोइली ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (राजग) ने 2002 में डीजल और पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया था। वहीं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग) डीजल पर सब्सिडी देती रही। उन्होंने कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल में भी ऐसा किया गया था।

यह पूछे जाने पर कि इस फैसले का रेलवे जैसे बड़े ग्राहक पर क्या असर होगा, मोइली ने कहा कि बहुत हद तक कुछ भी असर नहीं होगा क्योंकि वे बड़े खरीदार अन्य सामान तथा ईंधन वाणिज्यिक दरों पर खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी व्यावसायिक दृष्टि से काम कर रहे हैं और अन्त में उन्हें अपने बजट से इसे पूरा करना होगा।

रेलवे को सालाना 24.28 लाख टन डीजल खरीदना पड़ता है। बाजार मूल्य पर इस ईंधन की खरीद के लिए उसे 2,727 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। राज्य परिवहन निगमों को 21.92 लाख टन डीजल की खरीद के लिए 2,462 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने होंगे। तीसरे सबसे बड़े ग्राहक रक्षा क्षेत्र को सालाना 2.67 लाख टन डीजल की खरीद के लिए 299 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्चने होंगे।

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