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वैश्विक मंदी का शिकार होंगे करोड़ो लोग

वैश्विक आर्थिक मंदी, खाद्य संकट और ईधन की आसमान छूती कीमते आने वाले समय में दुनिया में दस करोड़ लोगों को भंयकर गरीबी की आेर धकेल देगी, जिससे एक अरब लोग भूखों मरेंगे तथा दो अरब लोग कुपोषण का शिकार...

 वैश्विक मंदी का शिकार होंगे करोड़ो लोग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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वैश्विक आर्थिक मंदी, खाद्य संकट और ईधन की आसमान छूती कीमते आने वाले समय में दुनिया में दस करोड़ लोगों को भंयकर गरीबी की आेर धकेल देगी, जिससे एक अरब लोग भूखों मरेंगे तथा दो अरब लोग कुपोषण का शिकार बनेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने हाल में नैरोबी में जारी संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य रिपोर्ट 2008 में पेश की गई भविष्य की इस भयावह तस्वीर का कहा हवाला देते हुए विश्व समुदाय से एकजुट होकर इस चुनौती से निबटने का आहवान किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के मौके पर विश्व नेताआें के नाम जारी संदेश में बान ने कहा कि अमेरिका में दिग्गज कंपनियों के धराशाई होने के साथ भयावह रूप अख्तियार करते जा रहे। आर्थिक संकट ने खाद्यान्न और ईंधन की आसमान छूती कीमतों तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या के साथ मिलकर पूरी दुनिया खासकर अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र के गरीबी उन्मूलन प्रयासों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। ऐसे में वक्त आ गया है कि विश्व समुदाय संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को जीवित रखने के लिए आर्थिक सहायता का हाथ बढाए। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे आपातकाल का सामना कर रहे है जिसका प्रभाव तिगुना है। इसमें वैश्विक आर्थिक मंदी, खाद्यान्न संकट, ईंधन की लगतार बढ़ती कीमते और जलवायु परिवर्तन का सामूहिक दुष्प्रभाव शामिल है। नैरोबी रिपोर्ट के मुताबिक मंदी के इस दौर में गरीबों की आमदनी घटेगी और खाद्य संकट से दुनिया में भूखों मरने वालो की तादाद भी बढ़ेगी। साथ ही गरीबों की संख्या में लाखों की दर से इजाफा होगा। जलवायु परिवर्तन की समस्या इसे और गंभीर बनाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वर्ष 10 के बाद से दुनिया में कुपोषण और भुखमरी के मामलों में कमी देखी गई लेकिन वहीं भोजन की उपलब्धता भी तेजी से घटती गई। खासतौर पर खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतो के कारण आने वाले समय में एक अरब लोगों के भूख से पीड़ित होने तथा दो अरब लोगों के कुपोषित होने का खतरा बढ़ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के कारण अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र में जहां गरीबी की दर 50 फीसदी पर टिकी रही वहीं पूर्वी एशिया में वर्ष 1से 2005 के बीच गरीबी में कुल मिलाकर 52 फीसदी की कमी दर्ज की गई। बाल मृत्यु दर भी इस दौरान एक करोड़ से घटकर लाख रह गई लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी ने इन सारी उपलब्धियों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। विश्व बैंक के आंकडों के मुताबिक गरीबी उन्मूलन के प्रयासों के कारण वर्ष 10 से 2005 के बीच गरीबी की रेखा के नीचे बसर करने वालों की संख्या एक अरब 80 करोड़ से घटकर एक अरब 40 करोड़ हो गई थी। खासतौर पर एशिया में चीन और अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के प्रयासों का खासा प्रभाव दिखा। लेकिन इसी बीच खाद्यान्न संकट और तेल की बढ़ती कीमतों के साथ आई आर्थिक मंदी ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए। बान ने विश्व नेताआें से अपील की है कि वह विकासशील और खासतौर पर अफ्रीकी क्षेत्र की मदद के लिए आर्थिक सहायता दें जहां लोग एक डॉलर प्रति दिन की आय सीमा से नीचे जीवन बसर करने को मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र्र के उपमहासचिव और अफ्रीका मामलों के सलाहकार चिक सिदी दियारा ने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी से मैं बेहद चिंतित जरुर हूं, लेकिन मुझे भरोसा है कि विकसित देश अफ्रीका के लिए दी जाने वाली मदद में वायदे के मुताबिक इजाफा करेंगे। महासभा की नियमित बैठक के पूर्व अफ्रीका के विकास मुद्दे पर विशेष रुप से आयोजित सत्र में संयुक्त राष्ट्र के 1देशों में से 106 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। स्कॉटलैंड में वर्ष 2005 में दुनियो बड़े औद्येागिक देशों ने वायदा किया था कि वे विकसित देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद में वर्ष 2010 तक 50 अरब डालर प्रति वर्ष तथा अफ्रीका को दी जाने वाली मदद में 25 अरब डॉलर की दर से बढ़ोतरी करेंगे। बान ने कहा विकसित देशों ने अपना यह वायदा नहीं निभाया। लेकिन अब जबकि वैश्विक आर्थिक मंदी हमारे प्रयासों पर पानी फेरने जा रही है, मैं इन देशों से अपील करता हूं कि वह मदद के लिए आगे आयंे। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन के लिए मैं दुनिया के अमीर और विकसित देशों की इच्छाशक्ित को जगाने की हर संभव कोशिश करुंगा। सोमवार को शुरु हुए इस सत्र में संयुक्त राष्ट्र में दुनिया भर के नेता निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों और स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि इस नई चुनौती से निबटने के उपायों पर गहन विचार विमर्श कर रहे हैं।

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