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2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी आज, CDMA की बोली रद्द

सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार से शुरू करेगी, जिसके जरिए उसे 40,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होने की उम्मीद है। फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने 122...

2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी आज, CDMA की बोली रद्द
एजेंसीMon, 12 Nov 2012 03:30 PM
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सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार से शुरू करेगी, जिसके जरिए उसे 40,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होने की उम्मीद है। फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द कर दिए थे, जो मुख्य रूप से आठ कंपनियों से संबद्ध है। इसी स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार सुबह नौ बजे शुरू होगी।

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को एक कार्य्रकम में कहा कि हमने दूरसंचार क्षेत्र में मजबूत, त्वरित फैसले किए हैं। इसका परिणाम यह है कि हम नीलामी की प्रक्रिया में हैं। 12 नवंबर को नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए थे उनमें यूनिनॉर के 22, लूप टेलीकॉम के 21, सिस्तेमा श्याम के 21, आइडिया सेल्यूलर (स्पाइस कम्युनिकेशंस सहित) के 13, वीडियोकॉन के 21, एतिसलात यूबी (पूर्ववर्ती स्वान टेलीकाम) के 15, एसटेल के 6 तथा टाटा टेलीसर्विसेज (तीन सीडीएमए लाइसेंस) शामिल हैं।

सरकार लाइसेंस रद्द होने से खाली हुए सारे स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं कर रही है। बजाय इसके सरकार दिल्ली और मुंबई को छोड़कर हर सर्किल में अधिकतम 11 ब्लॉक के स्पेक्ट्रम की नीलामी करेगी। दिल्ली व मुंबई में केवल आठ ही ब्लाक हैं इसलिए ये दोनों सर्किल इस दायरे में नहीं आते।

उच्चतम न्यायालय के फैसले से जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द हुए हैं उन्हें यह अनुमति दी गई थी कि वे नीलामी में स्पेक्ट्रम जीतकर कारोबार जारी रख सकते हैं। सरकार ने समूचे भारत में पांच मेगाहर्ट्ज जीएसएम स्पेक्ट्रम के लिए शुरुआती मूल्य 14,000 करोड़ रुपये तय किया है। जबकि 2001 से 2008 के दौरान दूरसंचार कंपनियों ने समूचे भारत के लिए 1,658 करोड़ रुपये चुकाए थे। यानी मौजूदा शुरुआती मूल्य लगभग सात गुना अधिक है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का अनुमान था कि 2008 में 2001 की कीमतों पर परमिटों के आवंटन के कारण सरकारी खजाने को लगभग 1,76,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जिन आठ कंपनियों के लाइसेंस रद्द हुए थे उनमें से केवल तीन (आइडिया सेल्यूलर, वीडियोकान तथा टेलीनॉर) ने ही नीलामी के लिए बोली पेश की है। टेलीनॉर की यूनिनार में बहुलांश हिस्सेदारी है। इन कंपनियों को अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए कम से कम पांच मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम जीतना होगा जो 1.25 मेगाहर्ट्ज (प्रत्येक) के ब्लाक में बंटा है।

दूरसंचार कंपनी एयरटेल व वोडाफोन भी अतिरक्ति स्पेक्ट्रम के लिए इस नीलामी में भाग ले रही है। ये कंपनियां किसी एक दूरसंचार क्षेत्र में अधिकतम दो ब्लॉक के लिए बोली लगा सकती हैं। दूरसंचार उद्योग के विशेषज्ञों को हालांकि इसके लेकर आशंका है कि इस नीलामी से सरकार को 40,000 करोड़ रुपये हासिल होंगे अथवा नहीं।

दूरसंचार कंपनियों संगठन सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने कहा कि सरकार स्वंय यह मान रही है कि उसे 40,000 करोड़ रुपये के आसपास नहीं मिलने जा रहा है। यदि उसे इसका आधा भी मिल जाता है तो उसके लिए सौभाग्य की बात होगी।

भारती समूह के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा कि यह नीलामी एक ही दिन में पूरी हो जाएगी। इससे पहले 3जी वायरलैस ब्राडबैंड स्पेट्रम की नीलामी 50 दिन में पूरी हुई थी।

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