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डेक्कन आईपीएल से बाहर, सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने डेक्कन चार्जर्स को इंडियन प्रीमियर लीग से बाहर करने के क्रिकेट बोर्ड के फैसले पर रोक लगाने से आज इनकार कर दिया। इसके साथ ही हैदराबाद की यह टीम आईपीएल से बाहर हो गई।   उच्चतम...

डेक्कन आईपीएल से बाहर, सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं
एजेंसीFri, 19 Oct 2012 09:15 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने डेक्कन चार्जर्स को इंडियन प्रीमियर लीग से बाहर करने के क्रिकेट बोर्ड के फैसले पर रोक लगाने से आज इनकार कर दिया। इसके साथ ही हैदराबाद की यह टीम आईपीएल से बाहर हो गई।
 
उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के कल के फैसले में बदलाव से इनकार कर दिया। बंबई उच्च न्यायालय ने लीग में डेक्कन चार्जर्स की सदस्यता रदद करने पर मध्यस्थ द्वारा दिए गए यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश को दरकिनार कर दिया था।

प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डेक्कन क्रानिकल्स होल्डिंग्स लिमिटेड की 25 अक्तूबर तक मोहलत देने की अपील भी खारिज कर दी। कंपनी ने 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने के लिए यह मोहलत मांगी थी।

इसके साथ ही डेक्कन चार्जर्स और बोर्ड के बीच करार 12 अक्तूबर से रदद माना जाने की बोर्ड की दलील भी मंजूर कर ली। उसी दिन अदालत ने कहा था कि मध्यस्थ को यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला देने का कोई अधिकार नहीं है।
 
न्यायालय ने कहा कि मौजूदा स्थिति यह है कि डेक्कन चार्जर्स और बीसीसीआई के बीच करार रद्द हो गया है। पीठ ने कहा कि बीसीसीआई ने बताया कि करार का रद्द होना 12 अक्तूबर से प्रभावी होगा। ऐसे में हम याचिका पर विचार नही कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि इस आदेश से डेक्कन चार्जर्स और बीसीसीआई के बीच चल रही मध्यस्थता की कार्यवाही प्रभावित नहीं होगी।

डीसीएचएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह बैंक गारंटी देने के लिए पहले दिए गए अवसर का लाभ नहीं उठा सके लेकिन उन्होंने एक बार फिर बैंक गारंटी जमा करने के लिए 25 अक्तूबर तक का समय देने का अनुरोध किया। बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने कहा कि हैदराबाद की टीम बुरी तरह से कर्ज में डूबी है और इसने अपने खिलाड़ियों तथा सहयोगी स्टाफ को भी भुगतान नहीं किया। इसने यह भी कहा कि डीसीएचएल बैंक और वित्तीय संस्थानों का कर्ज भी नहीं चुका सका है। उच्च न्यायालय ने मध्यस्थता कर रहे उच्चतम न्यायालय के सेवानिवत न्यायधीश सीके ठक्कर के यथास्थिति बरकरार रखने के फैसले को भी खारिज कर दिया।

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