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गृह विभाग है परशान

भारत में हिंदी राष्ट्रभाषा है। हिंदी भाषी राज्यों में पुलिस भी हिंदी में ही एफआइआर दर्ज करती है, लेकिन अब केंद्र को 20 वर्ष पुरानी एफआइआर का अंग्रजी रूपांतरण। इससे झारखंड का गृह विभाग परेशान है।ड्ढr...

 गृह विभाग है परशान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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भारत में हिंदी राष्ट्रभाषा है। हिंदी भाषी राज्यों में पुलिस भी हिंदी में ही एफआइआर दर्ज करती है, लेकिन अब केंद्र को 20 वर्ष पुरानी एफआइआर का अंग्रजी रूपांतरण। इससे झारखंड का गृह विभाग परेशान है।ड्ढr केंद्र ने कहा है कि अगर अंग्रजी अनुवाद उपलब्ध नहीं कराया गया, तो नौ मुकदमा वापसी से संबंधित एफआइआर पर विचार नहीं होगा। मामला झारखंड आंदोलनकारियों पर से मुकदमा वापसी का है। इधर गृह विभाग की परशानी है कि जिस कागज पर एफआइआर दर्ज हुआ था, वह अब ठीक स्थिति में नहीं हैं। दो मामले रांची से भी जुड़े हैं।ड्ढr रांची के बेड़ो थाना में कांड संख्या 608दर्ज है। अब वर्ष 8ी एफआइआर केंद्र को अंग्रजी में चाहिए। इसी तरह नोवामुंडी कांड संख्या 21गोमिया थाना कांड संख्या 32धालभूमगढ़ थाना कांड संख्या 21घाटशिला थाना कांड संख्या 658सदर थाना पलामू कांड संख्या 110गोमो रल थाना कांड संख्या 28और धनबाद रल थाना कांड संख्या 34ा अंग्रजी अनुवाद केंद्र को चाहिए।ड्ढr ये सभी मामले दो दशक पहले के हैं। गृह सचिव जेबी तुबिद ने 26 सितंबर को ये नौ मामले जहां दर्ज हैं वहां के उपायुक्तों और आरक्षी अधीक्षकों को पत्र लिखा है और कहा है कि इसका अंग्रजी अनुवाद उपलब्ध कराया जाये ताकि केंद्र को भेजा जा सके। राज्य सरकार ने केंद्र को 2मामले स्थानांतरित किये हैं। उसमें से नौ मामलों का अंग्रजी अनुवाद अब भी उपलब्ध नहीं है। केंद्र को जिन कांडों का अंग्रजी अनुवाद चाहिए नोवामुंडी कांड संख्या 21गोमिया थाना कांड संख्या 32धालभूमगढ़ थाना कांड संख्या 21घाटशिला थाना कांड संख्या 658सदर थाना पलामू कांड संख्या 110गोमो रल थाना कांड संख्या 28और धनबाद रल थाना कांड संख्या 34।

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