उर्वरक तस्करी रोकने की कवायद में तेजी
सरकारी सब्सिडी के दुरुपयोग के तमाम मामलों के बीच उर्वरक की बड़े पैमाने पर तस्करी का मसला उजागर हुआ है। यह तस्करी प्रमुख रूप से पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश दोनों को ही हो रही है। केंद्र सरकार ने...
सरकारी सब्सिडी के दुरुपयोग के तमाम मामलों के बीच उर्वरक की बड़े पैमाने पर तस्करी का मसला उजागर हुआ है। यह तस्करी प्रमुख रूप से पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश दोनों को ही हो रही है। केंद्र सरकार ने संबंधित रायों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिमी बंगाल को इस आशय का निर्देश दिया है कि वह इन देशों को उर्वरक की तस्करी को रोकने के लिए प्रभावी इंतजाम करें। आज यहां उर्वरक सलाहकार फोरम की बैठक के बाद रसायन एवं उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान ने संवाददाताओं को बताया कि अगर उर्वरक की तस्करी और जमाखोरी (होर्डिग) को रोक दिया जाये तो देश में उर्वरक की खपत लगभग 20 फीसदी कम हो सकती है। दरअसल पड़ोसी देशों में उर्वरक में सब्सिडी को प्रावधान न होने से उसे वहां तस्करी कर चोरी छिपे भेजने को बढ़ावा मिलता है। रायों से इसे तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि घुलनशील उर्वरक के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय काम कर रहा है। इससे देश में उर्वरक के संतुलित प्रयोग के साथ ही खपत को कम करने में मदद मिलेगी और परिणाम स्वरूप सब्सिडी में भी कमी लाई जा सकेगी। सब्सिडी के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए नफ्था आधारित उर्वरक उत्पादन संयंत्रों को गैस आधारित बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। इससे देश में उर्वरक के सस्ते उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और आयात निर्भरता में भी कमी लाना संभव हो सकेगा। उन्होंने बताया कि गैस आपूर्ति को लेकर विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित अधिकार प्राप्त समूह को पत्र लिखकर इस बात का आग्रह किया गया है कि वे इसके लिए गेल को निर्देश जारी करें। उन्होंने कहा कि अगर समयबद्ध ढंग से गैस की आपूर्ति यूरियाक्षेत्र को नहीं शुरू की जाती है तो इस क्षेत्र में लगभग 40,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रभावित होना तय है।ं