फोटो गैलरी

Hindi News750 करोड़ रुपये का मिशन है जीसैट-10 संचार उपग्रह

750 करोड़ रुपये का मिशन है जीसैट-10 संचार उपग्रह

भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 को शनिवार तड़के दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना से यूरोपीय उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट एरियन-5 के जरिये सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। यह उपग्रह दूर संचार,...

750 करोड़ रुपये का मिशन है जीसैट-10 संचार उपग्रह
एजेंसीSat, 29 Sep 2012 03:20 PM
ऐप पर पढ़ें

भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-10 को शनिवार तड़के दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना से यूरोपीय उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट एरियन-5 के जरिये सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। यह उपग्रह दूर संचार, डायरेक्ट टू होम प्रसारण और रेडियो नेविगेशन सेवाओं को बेहतर बनायेगा।
    
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि करीब 11 घंटे और 30 मिनट तक चली उल्टी गिनती के बाद एरियन-5 ईसीए रॉकेट ने जीसैट-10 को 30 मिनट और 45 सेकेंड की यात्रा के बाद दीर्घवत्ताकार भूतुल्यकालिक स्थानान्तरण कक्षा (जीटोओ) में पहुंचा दिया।
    
जीसैट-10 करीब 15 साल तक काम करेगा और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है, जिसका वजन 3,400 किलोग्राम है। जीसैट10 परियोजना 750 करोड़ रुपये का मिशन है, जिसमें उपग्रह की कीमत, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस की प्रक्षेपण सेवाएं तथा बीमा शामिल है।
    
इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बनाया है, जिसका मुख्यालय बंगलुरु में है। यह इसरो का 101वां अंतरिक्ष मिशन था। इसके नवंबर में काम शुरू कर देने की उम्मीद है। इससे दूरसंचार, डायरेक्ट टू होम और रेडियो नेविगेशन सेवाएं और बेहतर हो जाएंगी।
    
इसरो ने अंतरिक्षयान के विभिन्न उप प्रणालियों की जांच करने के बाद बताया, उपग्रह अच्छी हालत में है। सभी मापदंडों पर यह संतोषजनक है। इसरो में मौजूद सूत्रों ने बताया कि प्रक्षेपण के समय संगठन के अध्यक्ष के राधाकृष्णनन अंतरिक्ष एजेंसी के कर्नाटक के हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी में मौजूद थे।
    
उन्होंने प्रक्षेपण के कुछ मिनट बाद बताया कि एमसीएफ ने पहले ही इस बेहद भारी उपग्रह के नियंत्रण को संभाल लिया है। राधाकृष्णन ने कहा कि नवंबर 2012 तक हम जीसैट-10 का संचालन करने और इस्तेमाल के लिये उपलब्ध कराने की अपेक्षा कर रहे हैं।
    
एरियनस्पेस के भारी उपग्रह प्रक्षेपित करने में सक्षम रॉकेट एरियन-5 ईसीए दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गुयाना स्थित लांच पैड से जीसैट-10 को लेकर रात दो बजकर 48 मिनट पर रवाना हुआ और करीब 30 मिनट बाद उसे कक्षा में पहुंचा दिया।
    
इससे पहले उसने अपने साथ ले जा जाये जा रहे यूरोपीय उपग्रह एएसटीआरए 2एफ को उसकी कक्षा में पहुंचाया। जीसैट-10 में 30 ट्रांसपोंडर (12केयू-बैंड, 12सी- बैंड और छह विस्तारित सी-बैंड) लगे हैं। इससे देश में ट्रांसपोंडरों की संख्या काफी बढ़ जाएगी।
   
जीसैट-10 में नेविगेशन उपकरण गगन लगाया गया है, जो बेहतर जीपीएस संकेत मुहैया करायेगा और इसका इस्तेमाल भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण असैन्य विमानन जरूरतों को पूरा करने के लिये करेगा। उल्लेखनीय है कि गगन उपकरण के साथ इंसैट-जीसैट समूह का यह दूसरा उपग्रह है। इससे पहले मई 2011 में जीसैट-8 प्रक्षेपित किया गया था ।
   
इससे पहले जीसैट-10 को 22 सितंबर को प्रक्षेपित किए जाने का कार्यक्रम था लेकिन वैज्ञानिकों ने रॉकेट के उपरी हिस्से में एक ग्राम धूल के कण पाने के बाद इसे स्थगित कर दिया था।
   
जीसैट-10 परियोजना निदेशक टी के अनुराधा, अंतरिक्ष विभाग के अतिरिक्त सचिव एस श्रीनिवासन और इसरो के उपग्रह केंद्र के निदेशक एस के शिवकुमार आदि प्रमुख अधिकारी प्रक्षेपण के समय फ्रेंच गुयाना में मौजूद थे। इस प्रक्षेपण का दूरदर्शन से सीधा प्रसारण किया गया।
   
शिवकुमार ने बताया कि जीसैट-10 भारत में संचार क्रांति में एक प्रेरक का काम करेगा। इसरो ने बताया कि जीसैट-10 परियोजना पर 750 करोड़ का खर्चा आया है, जिसमें उपग्रह की लागत, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस की प्रक्षेपण सेवा और बीमा का खर्च शामिल है।
   
एरियनस्पेस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्यां यवेस ली गाल ने प्रक्षेपण स्थल पर कहा कि इसरो उनका महत्वपूर्ण ग्राहक है और करीब 30 साल पहले जून 1981 में एप्पल उपग्रह प्रक्षेपित करने के साथ ही इस रिश्ते की शुरुआत हुई थी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें