फिजी की सैन्य सरकार को अदालत की मान्यता
दक्षिण प्रशांत महासागर के द्वीप समूह देश फिजी की सवर्ोच्च अदालत ने 2006 में सैन्य विद्रोह के बाद अंतरिम सरकार की नियुक्ित के राष्ट्रपति के कदम को बुधवार को जायज ठहराकर सैन्य सरकार को वैधता प्रदान कर...
दक्षिण प्रशांत महासागर के द्वीप समूह देश फिजी की सवर्ोच्च अदालत ने 2006 में सैन्य विद्रोह के बाद अंतरिम सरकार की नियुक्ित के राष्ट्रपति के कदम को बुधवार को जायज ठहराकर सैन्य सरकार को वैधता प्रदान कर दी। इस देश की 0 लाख की कुल आबादी में 40 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं। स्थानीय मूल के वासी और भारतीय मूल के फिजीवासियों में गहरे मतभेद हैं। करीब 3.7 अरब डॉलर की यहां की अर्थव्यवस्था पर भारतीय मूल के लोगो का वर्चस्व है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका, यूरोपीय संघ तथा ऑस्ट्रेलिया आदि देश सैन्य सरकार पर 200में आम चुनाव कराने के लिए दबाव डाल रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाइसेनिया करासे को रक्तविहीन सैन्य विद्रोह में अपदस्थ कर दिया गया था। सैन्य नेता प्रैंक बैनीमरामा ने 2006 में करासे की सरकार को भ्रष्ट बताकर विद्रोह कर दिया था। उसके बाद राष्ट्रपति ने पहले एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया, लेकिन बाद में संसद भंग कर दी और नई सरकार बनने तक बैनीमरामा को ही अंतरिम नेता नियुक्त कर दिया। करासे ने अंतरिम सरकार की नियुक्ित के राष्ट्रपति के फैसले का चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति एंथनी गेट्स ने फैसले में कहा कि राष्ट्रपति का कदम एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी विभिन्न गुटों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया था। यह संविधान सम्मत है, इसलिए राष्ट्रपति का कदम वैध है। करासे ने कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि यह न्याय का अपमान है। उन्होंने कहा कि अदालत के इस फैसले से देश में और विद्रोहों का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए आपको कुछ नहीं करना होगा। निर्वाचित सरकार के खिलाफ विद्रोह कीजिए और राष्ट्रपति से संपर्क कर लीजिए, बाकी काम वह कर देंगे। वायदे के मुताबिक 200में आम चुनाव कराए जाने के अंतरराष्ट्रीय दबावों पर बैनीमरामा का कहना है कि लंबे समय से भ्रष्ट और नस्लीय भेदभाव वाली चुनाव प्रणाली के कारण 200में चुनाव कराना संभव नहीं है।