जब डूब गई नइया तब जागे खेवइया
वैश्विक अर्थव्यवस्था को चमकाने में लगे विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष लेकर अमेरिकी फेडरल रिार्व और यूरोपीय आयोग तक बड़-बड़े अर्थविदों और दुनिया के राजनीतिकों की लंबी-चौड़ी थ्योरी उन्हीं की...
वैश्विक अर्थव्यवस्था को चमकाने में लगे विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष लेकर अमेरिकी फेडरल रिार्व और यूरोपीय आयोग तक बड़-बड़े अर्थविदों और दुनिया के राजनीतिकों की लंबी-चौड़ी थ्योरी उन्हीं की आंखो के सामने फेल हो गई। वित्तीय संकट में दुनिया के डूब जाने के बाद अब उन्हें वित्तीय तंत्र पर कानूनी शिंकाा बढ़ाने की सूझी है ताकि फिर से दुनिया को ऐसे संकट में डूबने से बचाया जा सके। जी-20 देशों के फैसले के मुताबिक कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सामूहिक तौर पर इस कानूनी शिकंो को कसने की कवायद शुरू कर दी है। इन संगठनों का अहम काम उन कानूनी कमजोरियों का पता लगाना है जिनके चलते अमेरिका और यूरोप की वित्तीय प्रणाली संकट की गिरफ्त में आ गई और जिसका दुष्प्रभाव भारत जसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को भी उठाना पड़ा। इन कमजोरियों को दूर करने की दिशा में सभी देश अपने-अपने स्तर पर काम करंगे। इससे पहले ये संगठन अपनी सिफारिश रिपोर्ट तैयार करंगे। इन संगठनों में इंटरनेशनल ऑर्गेनाक्षेशन ऑफ सिक्यूरिटीा कमीशंस, इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ इंश्योरंस सुपरवाक्षर्स और बासल कमेटी फॉर बैकिंग सुपरवीजंस आदि हैं। यह जानकारी जी-20 देशों की ओर से गठित समूह की रिपोर्ट में दी गई है। संगठनों ने यह पता लगाना शुरू किया है कि विभिन्न देशों के वित्तीय कानूनी ढांचे में आखिर कैसी खामियां हैं जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाना जरूरी है। वहीं दूसरी ओर ये संगठन कानूनी दायर को बढ़ाने दिशा में भी काम करंगे। ऑर्गेनाक्षेशंस ऑफ सिक्यूरिटीा कमीशंस ने विभिन्न क्रेडिट रटिंग एजेंसियों के साथ तालमेल की दिशा में काम करना शुरू किया है। संगठन ने इन एजेसियों पर कानूनी शिकांा कसने की दिशा में अलग से काम करना शुरू किया है। इसी के तहत रिार्व बैंक ने इस बार की सालाना क्रेडिट पॉलिसी में भी क्रेडिट रटिंग एजेंसियों पर लगाम लगाने की दिशा में काम शुरू किया है।