त्रिपुरा: सुरक्षा बलों को विशेषाधिकार 6 महीने और
त्रिपुरा में वाम मोर्चा सरकार ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1ी अवधि अगले छह महीने तक बढ़ा दी है। इससे क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों को अलगाववादी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए विशेष अधिकार हासिल...
त्रिपुरा में वाम मोर्चा सरकार ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1ी अवधि अगले छह महीने तक बढ़ा दी है। इससे क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों को अलगाववादी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए विशेष अधिकार हासिल रहेंगे। एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि त्रिपुरा में आतंकवाद की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार कुछ समय तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं करना चाहती। उन्होंने बताया कि त्रिपुरा के 64 पुलिस थानों में से 1में 34 पुलिस थानों में एएफएसपीए लागू किया गया था। आदिवासी बहुल पार्टियां एएफएसपीए को लागू करने की विरोधी हैं और इसे काफी कड़ा कानून मानती हैं। त्रिपुरा की आदिवासी राष्ट्रीय पार्टी (आईएनपीटी) के महासचिव और पूर्व मंत्री रबिंद्र देबबर्मा ने कहा कि यह कानून सशस्त्र बलों को आतंकवाद विरोधी अभियान के नाम पर निर्दोष नागरिकों विशेषकर आदिवासियों को प्रताड़ित करने का अधिकार देता है। देबबर्मा ने कहा कि एएफएसपीए को हटाना उनके चुनाव प्रचार अभियान का एक मुद्दा है। त्रिपुरा के अलावा एएफएसपीए मणिपुर,असम और नागालैंड के बड़े हिस्से और उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों के कुछ हिस्सों में लागू है। सुरक्षा बलों पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए पूर्वोत्तर राज्यों विशेषकर मणिपुर के कई नागरिक अधिकार संगठन, स्वंयसेवी संगठन और छात्र संगठन कई वर्षो से इस कानून को हटाने की मांग कर रहे हैं।ं