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अंतिम ओलंपिक में योगेश्वर की नजरें स्वर्ण पर

बीजिंग ओलंपिक में पदक से चूकने वाले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त अपना कैरियर खत्म होने से पहले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं। योगेश्वर का मानना है कि संभवत: यह उनका...

अंतिम ओलंपिक में योगेश्वर की नजरें स्वर्ण पर
एजेंसीTue, 17 Jul 2012 06:06 PM
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बीजिंग ओलंपिक में पदक से चूकने वाले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त अपना कैरियर खत्म होने से पहले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं।

योगेश्वर का मानना है कि संभवत: यह उनका अंतिम ओलंपिक होगा और वह प्रतिबद्ध हैं कि खेलों के महाकुंभ में तीसरी बार हिस्सा लेते हुए वह वांछित नतीजा हासिल करने में सफल रहेंगे। यह भारतीय पहलवान बीजिंग 2008 खेलों में भी कांस्य पदक जीतने के करीब पहुंचा था, लेकिन अहम मुकाबले में अंतिम 10 सेकेंड में हार गया।

योगेश्वर ने साइ केंद्र में कहा कि ओलंपिक खेल हर साल नहीं होते, यह प्रत्येक चार साल में होते हैं और मैं भाग्यशाली हूं कि भगवान ने मुझे तीसरी बार इन खेलों में हिस्सा लेने का मौका दिया। मुझे नहीं पता कि मैं अगले ओलंपिक में खेलूंगा या नहीं, मैं सिर्फ अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं और इसे अपना अंतिम मौका मान रहा हूं।

उन्होंने कहा कि मैं इस बार अपने देश के लिए कुछ लाना चाहता हूं। मैं अपने वर्ग को स्वर्ण पदक को लक्ष्य बनाकर चल रहा हूं। सुशील ने पिछली बार पदक जीता था, इस बार मैं पदक लाना चाहता हूं। भविष्य की पीढ़ी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और ऐसे में यह संभवत: मेरा अंतिम ओलंपिक होगा। संन्यास लेने से पहले स्वर्ण पदक जीतने से मुझे सुंतष्टि मिलेगी।

योगेश्वर को भरोसा है कि वह ही नहीं, बल्कि टीम के अन्य सदस्य भी पदक जीतेंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे कुश्ती में दो से तीन पदक की उम्मीद है। इस 29 वर्षीय पहलवान ने कहा कि अमेरिका में ट्रेनिंग सत्र से उनके खेल को काफी मदद पहुंची है। योगेश्वर ने कहा कि कोलोराडो स्प्रिंग्स में ट्रेनिंग शिविर से हमें लंदन जैसे मौसत से सामंजस्य बैठाने का मौका मिला। मुझे ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले कुछ पहलवानों के खिलाफ अपना कौशल आजमाने का मौका मिला और इससे मेरी पैरों की मूवमेंट, गति और मैदानी कुश्ती में सुधार हुआ।

उन्होंने कहा कि पैरों की मूवमेंट आपकी कुश्ती का सबसे अहम हिस्सा है और बड़े मंच पर नतीजों के लिए आपका नीचे का हिस्सा मजबूत होना चाहिए। लंदन में पदक जीतने के लिए हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। बेलारूस में होने वाले आगामी अनुकूलन शिविर के बारे में राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता योगेश्वर ने कहा कि ये दोनों देश एक ही टाइम जोन में आते हैं और इससे हमें लंदन के हालात से सामंजस्य बैठाने में मदद मिलेगी। अब अपने खेल में नयी तकनीक शामिल करने का समय नहीं बचा है। हम खेलों के लिए जाने से पहले मानसिक रूप से मजबूत होना चाहते हैं।

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