दादा के नामांकन से नदारद रहे शरद यादव
जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव गुरुवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के नामांकन से नदारद दिखे। इससे ये बात साफ है कि मुखर्जी...
जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव गुरुवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के नामांकन से नदारद दिखे। इससे ये बात साफ है कि मुखर्जी की उम्मीदवारी का भले ही शरद समर्थन करते हों पर वह संप्रग के साथ नहीं है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी मुखर्जी का समर्थन किया पर उसका एक भी नेता नामांकन के समय मौजूद नहीं था। मुखर्जी बुधवार को समर्थन मांगने के लिए यादव से उनके निवास पर मिलने गए थे। उनके नामांकन पत्र पर पहले प्रस्तावक के रूप में शरद यादव का ही नाम है।
यह उम्मीद की जा रही थी कि यादव संसद भवन में नामांकन के समय अवश्य मौजूद रहेंगे लेकिन अप्रत्याशित रूप से वह वहां मौजूद नहीं थे। यादव राजग के संयोजक भी हैं और मुखर्जी का समर्थन कर उन्होंने भाजपा से अलग रास्ता चुना पर आज सुबह जब वह संसद भवन नहीं गए तो उन्होंने संप्रग को यह संकेत देने की कोशिश की कि वह पूरी तरह उसके साथ नहीं हैं।
यादव के निकटस्थ सूत्रों का कहना है कि वह भले ही राष्ट्रपति पद के चुनाव में मुखर्जी का समर्थन कर रहे हों पर संप्रग के साथ उनकी वैचारिक असहमति बनी हुई है। यही कारण है कि कांग्रेस के कई केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें मुखर्जी के नामांकन के वक्त मौजूद रहने का अनुरोध किया पर वह वहां नहीं गए।
जदयू संप्रग नेतृत्व से इसलिए भी नाराज चल रहा है कि केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग अभी तक स्वीकार नहीं की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जानते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना कांग्रेस नीत सरकार के लिए राजनीतिक फैसला है।
जदयू के सूत्रों का कहना है कि मुखर्जी को समर्थन देने से उनकी पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला है क्योंकि बिहार को 28 हजार करोड़ के बजट की मांग पुरानी थी और केंद्र ने कोई रियायत नहीं दी है।