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संघ ने नीतीश पर साधा निशाना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग भाजपा को...

संघ ने नीतीश पर साधा निशाना
एजेंसीSun, 24 Jun 2012 04:15 PM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग भाजपा को अलग-थलग करने और संघ को बचाव की मुद्रा में लाने का विश्वासघाती प्रयास है।

भाजपा को 2014 के अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने की सलाह देते हुए कहा गया कि उसे सेकुलर व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की नीतीश की भ्रामक बात पर ध्यान दिए बिना मोदी जैसे नेता और विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित रखते हुए किसी भी कीमत पर इसे धमनिरपेक्षता बनाम साम्प्रदायिकता की अराजक बहस में नहीं बदलने देना चाहिए।

संघ के अंग्रेजी और हिंदी के मुखपत्रों आर्गेनाइजम्र तथा पांचजन्य के ताजम अंकों में पार्टी को यह हिदायत दी गई। आर्गेनाइजम्र में कहा गया है कि मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की स्थिति में अगर ऐसे सहयोगी (जदयू) अलग होना चाहते हैं तो भाजपा को अपने बूते पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे में कोई नुकसान होने वाला नहीं है। अगर होता है तो भी आत्मा खोने से बेहतर है चुनाव में अस्थाई हार का सामना करना।

इसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे 2014 के चुनाव पास आते जाएंगे, कांग्रेस और अन्य दलों का मोदी विरोधी अभियान तेज होता जाएगा। इससे विचलित नहीं होने की भाजपा को सलाह देते हुए कहा गया है कि मोदी को निशाना बनाने से हिंदू वोट भाजपा के पक्ष में संगठित होगा और इस वोट को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा को अलग से कोई प्रयास नहीं करना पड़ेगा।

लेख में भाजपा को भरोसा दिलाया गया है कि मोदी को निशाना बनाने से संप्रग के कथित कुशासन से पार्टी का प्रचार पटरी से नहीं उतरने पाएगा। इसमें कहा गया है कि भाजपा प्रचार के केंद्र में नरेंद्र मोदी जैसे नेता के आ जाने से चुनाव अभियान अपने आप विकास और भ्रष्टाचार मुक्त शासन पर केंद्रित हो जाएगा।

इसमें कहा गया है कि मोदी के नाम पर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल अगर चुनाव प्रचार का साम्प्रदायिकरण करना चाहेंगे तो इससे भाजपा को लाभ ही मिलेगा।
 आर्गेनाइजम्र के लेख में भाजपा से सवाल किया गया है कि चुनाव में क्या मुसलमानों को लुभाने के लिए उसे किसी नरम छवि वाले नेता को पेश करने की आवश्यकता है अपने सवाल का खुद ही जवाब देते हुए इसमें कहा गया कि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता की यह मुस्लिम केंद्रित मांग न सिर्फ दोषपूर्ण है बल्कि भाजपा को अलग-थलग करने और संघ को रक्षात्मक स्थिति में लाने का विश्वासघाती प्रयास है।

इसमें कहा गया है कि अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जाने के समय भी देश के किसी भी चुनाव क्षेत्र में मुसलमानों ने भाजपा के पक्ष में मतदान नहीं किया था। इसलिए मुसलमानों में भाजपा की स्वीकार्यता बनाने के नाम पर प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के बजाए किसी उदार चेहरे को उतारने के तर्क के कतई स्वीकार नहीं किया जाए।

उधर, संघ के हिंदी मुखपत्र पांचजन्य के संपादकीय में प्रश्न किया गया है कि देश का प्रधानमंत्री सेकुलर हो, यह कहने का अर्थ क्या है...वोट की राजनीति ने हमारे समाज को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक, सांप्रदायिक और सेकुलर आदि में विभाजित करके देश को जो नुकसान पंहुचाया है, उसे अब और भी गहराने की साजिश हो रही है।

संपादकीय में सवाल किया गया है कि देश के बहुसंख्यक हिंदुओं के हितों की चिंता करने वाली सरकार और प्रधानमंत्री क्यों नहीं होना चाहिए।

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