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जानिए आखिर क्या होता है शुक्र पारगमन!

जिस प्रकार पृथ्वी एवं सूर्य के बीच चंद्रमा के आने पर सूर्यग्रहण की स्थिति निर्मित होती है, उसी प्रकार अन्य ग्रह भी पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आते हैं, परंतु वे पृथ्वी से काफी दूर होने के कारण आकार में...

जानिए आखिर क्या होता है शुक्र पारगमन!
एजेंसीWed, 06 Jun 2012 11:56 AM
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जिस प्रकार पृथ्वी एवं सूर्य के बीच चंद्रमा के आने पर सूर्यग्रहण की स्थिति निर्मित होती है, उसी प्रकार अन्य ग्रह भी पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आते हैं, परंतु वे पृथ्वी से काफी दूर होने के कारण आकार में छोटे दिखाई देते हैं और सूर्य को ढंक नहीं पाते और एक बिंदु के समान सूर्य की छाया से गुजरते हुए दिखाई पड़ते हैं, इसे ही पारगमन कहते हैं।

सूर्य बिंब के ऊपर से पारगमन की घटना आंतरिक कक्षा वाले ग्रह बुध एवं शुक्र के साथ ही होती है।

इससे सूर्य पर एक छोटा काला धब्बा बना है। 243 साल में महज चार बार होने वाली इस घटना का नजारा आप अगली बार नहीं देख पाएंगे क्योंकि यह घटना 6 जून के बाद 11 दिसंबर 2117 को होगी।

यह दुर्लभ घटना 6 जून को अलसुबह 3.09 बजे से शुरू होगी, जो सुबह 10.19 बजे तक देखी जा सकेगी। वैज्ञानिक भाषा में इसे शुक्र का पारगमन कहते हैं जबकि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसे शुक्र का सूर्यातिक्रमण कहा जाता है। खगोल विज्ञान के अलावा ज्योतिष में भी इस घटना को दुर्लभतम माना गया है।

कहां-कहां देखा जा सकेगा?
भारत के अलावा यह घटना पूर्वोत्तर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, उत्तर एशिया, पूर्वोत्तर चीन, कोरिया, जापान, पसिफिक महासागर, न्यू गुयाना, हवाई, रुस, अलास्का, उत्तर-पश्चिम कनाडा में दिखाई देगा। सूर्योदय के साथ इसे खाड़ी, दुबई, सिंगापुर, मलेशिया एवं नेपाल में देखा जा सकेगा। बिना किसी साधन के इसको देखने को प्रयास न करें अन्यथा आंखों के खराब होने का भय है।

भारत में ये अद्बुत घटना करीब साढे 4 घंटे तक दिखाई दिया। आसमान में हो रहे इस अद्भुत नजारे को लेकर खगोलशास्त्री भी बेहद उत्साहित दिखाई दिए। क्योंकि आज होने वाली ये ऐतिहासिक खगोलीय घटना अगले 100 बरस के बाद ही होगी।

वीनस ट्रांजिट का अगला नजारा एक सदी बाद 11 दिसंबर 2117 में दिखाई देगा जबकि टेलीस्कोप की खोज के बाद अब तक इस घटना को सिर्फ सात बार ही देखा जा सका है। इसमें साल 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882 और 2004 के वीनस ट्रांजिट शामिल हैं।

 

 

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