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हर छठा हैंडपंप खराब

झारखंड केीसदी ग्रामीणों के पेयजल का स्रेत नलकूप (हैंडपंप) है। उन्हें पानी मुहैया कराने के लिए पेयजल विभाग ने करीब तीन लाख 18 हाार हैंडपंप लगाये हैं। इनमें से हर छठा हैंडपंप खराब पड़ा है। राजधानी...

 हर छठा हैंडपंप खराब
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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झारखंड केीसदी ग्रामीणों के पेयजल का स्रेत नलकूप (हैंडपंप) है। उन्हें पानी मुहैया कराने के लिए पेयजल विभाग ने करीब तीन लाख 18 हाार हैंडपंप लगाये हैं। इनमें से हर छठा हैंडपंप खराब पड़ा है। राजधानी रांची तक की स्थिति अलग नहीं है। ऐसे में लोगों को शुद्ध पेयजल कैसे मिले? यह यक्ष प्रश्न है।राज्य की आबादी करीब तीन करोड़ है, 75 फीसदी आबादी गांवों में रहती है। उनके लिए कुआं, चुआं, नदी और हैंडपंप ही पानी का स्रेत है। विभाग शुद्ध पेयजल के लिए हैंडपंप को सबसे बेहतर विकल्प मानता है। उसका कहना है कि लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए ही राष्ट्रीय मापदंड से काफी अधिक हैंडपंप यहां लगाये गये हैं। राष्ट्रीय मापदंड 250 लोगों पर एक हैंडपंप का है। यहां 75 में एक हैंडपंप उपलब्ध हैं।पेयजल सचिव आरएस शर्मा पिछले दिनों समीक्षा के दौरान राज्यपाल सैयद सिब्ते राी को बताया था कि लगाये गये हैंडपंपों में 50 हाार 164 खराब पड़े हैं। इस हिसाब से देखा जाये, तो हैंडपंप खराब रहने के कारण सूबे के करीब 36 लाख लोगों को पेयजल के लिए अन्य स्रेतो पर निर्भर रहना पड़ रहा है। सचिव ने यह भी बताया था कि एक महीने में 28 हाार 230 खराब हैंडपंप को ठीक कर लिया जायेगा। इतने दिनों वह कहां से पानी लेंगे, वहीं जानते हैं। इसके बनने तक गर्मी भी निकल जायेगी। राजधानी के शहरी इलाकों के करीब 75 फीसदी क्षेत्र में ही पानी की सप्लाई पाइप के माध्यम से होती है। बचे इलाकों के लोग कुआं, हैंडपंप, बोरिंग आदि वैकल्पिक व्यवस्था पर निर्भर हैं। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पाइप लाइन से जलापूर्ति नहीं की जा ही है, वहां करीब 2158 डीप बोरिंग से पानी की आपूर्ति की जा रही है। पूरी सरकार होने के बाद भी रांची पूर्वी इलाकों में लगे 11174 में 1475 हैंडपंप खराब पड़े हैं। इसी तरह रांची पश्चिमी में लगे 12151 नलकूपों में 2381 खराब पड़े हैं।ड्ढr युद्धस्तर पर हो रही मरम्मत : हसनड्ढr पेयजल विभाग के अभियंता प्रमुख सज्जाद हसन ने कहा कि खराब नलकूपों की मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर हो रहा है। यहां लगे शिकायत कक्ष में प्रतिदिन 10 से 12 सूचनाएं आ रही है। उसका निष्पादन किया जा रहा है। माइनर रिपयेर वाले नलकूपों में सात से आठ सौ तक की मरम्मत कर लेने की सूचना मुख्यालय को मिल रही है। इसके सत्यापन के लिए हर डिवीजन में इइ की अध्यक्षता में फ्लाईंग स्कावयर्ड का गठन किया गया है। उन्होंने पाइप सड़ा होने और स्रेत सूख जाने वाले नलकूपों के पुनस्र्थापन की प्रक्रिया भी चल रही है। इसे भी शीघ्र ही पूरा कर लिया जायेगा।

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