पहली बार कोर्ट ने गवर्नर से किया हस्तक्षेप का आग्रह
साल में भी नामकुम रलवे ब्रिज नहीं बनने और अधिकारियों द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिये जाने के कारण ही हाइकोर्ट को राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करना पड़ा है। झारखंड बनने के बाद यह पहला...
साल में भी नामकुम रलवे ब्रिज नहीं बनने और अधिकारियों द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिये जाने के कारण ही हाइकोर्ट को राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करना पड़ा है। झारखंड बनने के बाद यह पहला मौका है, जब किसी काम को पूरा करने के लिए हाइकोर्ट को राज्यपाल से हस्तक्षेप करने का आग्रह करना पड़ा है। नामकुम रलवे ओवर ब्रिज बनाने के लिए वर्ष 1से ही झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। इस याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आठ साल पहले ही ब्रिज बनाने का निर्देश देने के बाद याचिका निष्पादित कर दी थी, लेकिन काम शुरू तक नहीं हुआ। इसके बाद एक दूसरी जनहित याचिका दायर की गयी। इस पर भी कोर्ट ने कई बार केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया। जमीन अधिग्रहण के लिए भी कोर्ट ने दोनों सरकारों और अधिकारियों को काम तेजी से करने का निर्देश दिया था। इस मामले में केंद्र और झारखंड सरकार के अधिकारी हर बार एक-दूसर पर आरोप- प्रत्यारोप लगाते रहे हैं। छह माह पूर्व हाइकोर्ट ने रलवे ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन काम शुरू तक नहीं हुआ। छह अप्रैल को कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों को हाजिर होने का निर्देश दिया था। अधिकारियों ने फिर वही पुराना राग अलापा। केंद्र सरकार के अधिकारी सारा दोष राज्य सरकार और झारखंड के अधिकारी केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ रहे थे। इसके बाद कोर्ट ने राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया।