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4 साल बाद भी अनसुलझी है आरुषि केस की गुत्थी

आरुषि-हेमराज हत्याकांड के चार साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी देश की ये सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री अनसुलझी है। आखिर चार साल में कहां तक पहुंचा ये मामला? आखिर क्यों आरुषि-हेमराज हत्याकांड इतना लंबा...

4 साल बाद भी अनसुलझी है आरुषि केस की गुत्थी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 16 May 2012 02:24 PM
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आरुषि-हेमराज हत्याकांड के चार साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी देश की ये सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री अनसुलझी है। आखिर चार साल में कहां तक पहुंचा ये मामला? आखिर क्यों आरुषि-हेमराज हत्याकांड इतना लंबा खिंचता चला गया?

दरअसल कठघरे में खुद आरुषि के मां बाप हैं, जिनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने लगातार कानूनी प्रावधानों का फायदा उठाने की कोशिश की।

गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने और नूपुर और राजेश तलवार को आरोपी बनाने के बाद से ही एक के बाद एक इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं लगाईं गईं। यही वजह है कि इस केस का ट्रायल एक साल बाद अब जाकर शुरू हो पाया है।

आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई ने गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत के सामने दिसंबर 2010 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। सीबीआई ने इस क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि सर्कम्स्टांशियल एविडेंस ये बताते हैं कि इस दोहरे हत्याकांड को राजेश और नुपुर तलवार ने अंजाम दिया है लेकिन इस मामले में उसके पास कोई सीधा सबूत नहीं है।

गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए तलवार दंपति को आरोपी बनाकर ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया। गाजियाबाद के कोर्ट के इस फैसले के बाद कोर्ट में अर्जियों का सिलसिला शुरू हुआ।

सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ तलवार दंपति इलाहाबाद हाईकोर्ट गए और कहा कि वो आरोपी नहीं बल्कि पीड़ित हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में हाजिर होकर ट्रायल फेस करने को कहा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया लेकिन बाद में फैसला देते हुए तलवार दंपति को गाजियाबाद की अदालत में जाने का निर्देश दिया।

इसके बाद नुपुर तलवार एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट गईं और कहा कि उन्हें ट्रायल के दौरान कोर्ट में उपस्थित होने पर छूट दी जाए। साथ ही नूपुर ने कोर्ट से कहा कि चूंकि उनके पति को इस मामले में जमानत मिली है इसलिए उन्हें भी जमानत दी जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नुपुर की इस याचिका को भी खारिज कर दिया और गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश जारी किया। इसके बाद तलवार दंपति एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

इस बार उन्होंने गाजियाबाद से दिल्ली केस ट्रांसफर करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया और गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट जाकर ट्रायल फेस करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नुपुर तलवार चार-चार तारीखों पर कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। कोर्ट में हाजिर न होने की वजह से सीबीआई कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।

गैर जमानती वारंट पर स्टे लगाने की मांग को लेकर नूपुर तलवार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बार भी नुपुर को कोई राहत नहीं दी और गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में 30 अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश जारी कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नुपुर तलवार 30 अप्रैल को गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट में हाजिर हुई। सीबीआई कोर्ट ने नूपुर को जमानत देने से इंकार कर दिया और 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजेने का निर्देश दिया।

सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद उसी दिन नूपुर तलवार ने सत्र न्यायालय में जमानत की अर्जी लगाई। एक अप्रैल को जमानत की याचिका खारिज कर सत्र न्यायालय ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

सत्र न्यायालय के आदेश के बाद दो अप्रैल को नूपुर तलवार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में जमानत की गुहार लगाई। इस याचिका में उन्होंने रिव्यू पेटिशन की सुनवाई के साथ-साथ जमानत की भी सुनवाई करने की मांग की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट फिलहाल नुपुर की रिव्यू पेटिशन पर सुनवाई कर रहा है। इस सुनवाई के पूरा होने के बाद कोर्ट नूपुर की जमानत पर सुनवाई करेगा। इस बीच तीन मई को नूपुर तलवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी बेल का नोटिस दिया है। उधर गाजियाबाद कोर्ट ने सीबीआई को केस से संबंधित सारे दस्तावेज सौंपने का निर्देश दिया।

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