चांद के दरवाजे परच चंद्रयान की दस्तक
चंद्रयान-1 ने 22 दिन के लंबे सफर के बाद चांद की सतह से सौ किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है। इसी के साथ चंद्रमिशन कार्यक्रम में भारत का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया...
चंद्रयान-1 ने 22 दिन के लंबे सफर के बाद चांद की सतह से सौ किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है। इसी के साथ चंद्रमिशन कार्यक्रम में भारत का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है। चंद्रयान चांद के बेहद निकट से उसकी परिक्रमा करने लगा है तथा दो घंटे में यह चांद का एक चक्कर काटेगा। अब चंद्रयान के काम का दूसरा चरण शुरू होगा। इसमें लगे सभी उपकरणों को चालू किया जाएगा जिनके जरिये अगले कुछ दिनों में चांद के बार में नई जानकारियां मिलनी शुरू हो जाएंगी। इसरो प्रवक्ता एस. सतीश के अनुसार शनिवार को चंद्रयान ने पृथ्वी की कक्षा से मुक्त होकर चांद की कक्षा में प्रवेश किया था।ड्ढr ड्ढr इसके बाद वह न्यूनतम 504 किमी दूरी से चांद की परिक्रमा कर रहा था। इसके बाद पिछले तीन दिनों से इसरो के वैज्ञानिक लगातार चंद्रयान को चांद के करीब ले जाने के प्रयासों में जुटे हुए थे। इस कड़ी में चंद्रयान में लगे 440 न्यूटोन लिक्िवड इंजन को कई किश्तों में 16 मिनट तक दागा गया। अंतत: चंद्रयान ने बुधवार शाम करीब 7 बजे चंद्रयान की निकटस्थ तय कक्षा में प्रवेश कर लिया। अब यह चांद की सतह से 100 किमी दूर संचालन कक्षा में पहुंच चुका है। इस कक्षा में चांद से दूरस्थ बिन्दु भी बेहद कम 182 किमी रह गई है। चंद्रयान में कुल 11 वैज्ञानिक उपकरण भेजे गए हैं। इनकी मदद से ही चंद्रमा की सतह की संरचना, वहां पानी, बर्फ, खनिजों की मौजूदगी आदि के बार में जानकारी एकत्र की जानी है। इन उपकरणों में से अभी तक इसरो के वैज्ञानिकों ने टेराइन मैपिंग कैमरा (टीएमसी) और रडियेशन डोज मानीटर (आरएडीओएम) को टेस्ट किया है। दोनों उपकरण सही कार्य कर रहे हैं तथा इनसे पृथ्वी और चंद्रमा की अनूठी तस्वीरं मिली हैं। अब अगला कदम मून इंपेक्ट प्रोब (एमआईपी) को चंद्रयान से निकालकर चांद की सतह पर गिराना है। इस प्रक्रिया में एमआईपी चांद के अंधेर कोनों की तस्वीरं व आंकड़े एकत्र कर चंद्रयान को भेजेगा।