समलैंगिकों की संख्या बताए सरकार: सुप्रीम कोर्ट
समलैंगिक आबादी के आंकड़े नहीं रखे जाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से एलजीबीटी लोगों (समलैंगिक स्त्री-पुरूष, द्विलिंगी और विपरीत लिंगी) से संबंधित सभी दस्तावेज...
समलैंगिक आबादी के आंकड़े नहीं रखे जाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से एलजीबीटी लोगों (समलैंगिक स्त्री-पुरूष, द्विलिंगी और विपरीत लिंगी) से संबंधित सभी दस्तावेज मुहैया कराने को कहा जिनमें उनकी संख्या और उनमें एचआईवी प्रभावित लोगों की संख्या के आंकड़े भी शामिल हों।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में पेश किए गए आंकड़े उसके समक्ष नहीं रखे गए। पीठ ने केंद्र सरकार से सुनवाई की अगली तारीख पर पूरी जानकारी मुहैया कराने को कहा।
पीठ ने इस मामले में पूर्व तैयारी न न करने के लिए सरकार और उसके अधिकारियों की खिंचाई भी की। न्यायालय में पेश हुए एक अधिकारी से पीठ ने कहा यहां आने से पहले आपको अपनी पूर्व तैयारी कर लेनी चाहिए थी।
न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय में वर्ष 2009 में कहा गया था कि समलैंगिकों में आठ फीसदी लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। पीठ ने एलजीबीटी आबादी की नवीनतम संख्या तथा उनमें एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या के बारे में पूछा।
सरकार ने हालांकि कहा कि देश में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या 23.9 लाख है। न्यायालय समलैंगिक अधिकारों के विरोधी कार्यकर्ताओं तथा विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिनमें उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया गया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता बी पी सिंघल ने उच्च न्यायालय के फैसले को यह कहते हुए उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है कि ऐसे कत्य अवैध, अनैतिक और भारतीय संस्कृति के मूल्यों के खिलाफ हैं। धार्मिक संगठनों जैसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, उत्कल क्रिश्चियन काउंसिल और एपोस्टोलिक चर्चेज अलायंस ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।
दिल्ली के बाल अधिकार सुरक्षा आयोग, तमिलनाडु के मुस्लिम मुन कझगम, ज्योतिषी सुरेश कुमार कौशल और योग गुरू रामदेव ने भी फैसले का विरोध किया है।