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शनिचर ग्रह का फेरा पढ़ाई-लिखाई डिपार्टमेंट के अपने वजीर जनाब इन दिनों बहुते परशान हैं। बेचार खूबे काम-धाम करते हैं। दिन-रात लगल रहते हैं। सफेद को काला और काला को सफेद करते रहते हैं। लेकिन पता नय...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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शनिचर ग्रह का फेरा पढ़ाई-लिखाई डिपार्टमेंट के अपने वजीर जनाब इन दिनों बहुते परशान हैं। बेचार खूबे काम-धाम करते हैं। दिन-रात लगल रहते हैं। सफेद को काला और काला को सफेद करते रहते हैं। लेकिन पता नय कौन सा ग्रह चक्कर चल रहा है कि रोो कुछ न कुछ होइये जाता है। छेतर में कभी दूध पीके बचवन मर जाता है। तो कभी छेतर में भाई-दोस्त पर गोली लग जाती है। तो कभी कुछ तो कभी कुछ ..। एकदम हलकान हो गये हैं बेचरंगा। दिन ठीक चलिये नय रहा है। अभी तो पारा टीचरवन का पारा चढ़ल है। रोो हड़ताल और अनशन। स्कूल में पढ़ाई-लिखाई बंद करवा दिया है। का करं, नय करं। सोचते हैं कि पूरा स्टेट का इल्रिटेसी खत्म करवा दें। सबको टीचर बनाकर उनका दुख-दर्द खत्म करवाने को सोच रहे हैं। लेकिन इ पारा टीचरवन बूझबे नय कर रहा है। अर भाई हड़ताल करने से थोड़ियो ना स्टेट सुधर जायेगा। परीक्षा देना नय चाहोगे, तो थोड़ियो ना नौकरी को परमानेंट कर देंगे। पढ़ल-लिखल हो, तो कमीशन तो फेस करना ही पड़ेगा। वजीर जनाब परशान हैं। मुखिया जी के अभी खासम-खास बनल हैं। गुरु का गोड़ लग-लगकर बुझिये कि सब कामवा करवा लेते हैं। लेकिन ग्रह-चक्कर पीछा छोड़बे नय कर रहा है। संगी-साथी पूछियो रहे हैं कि का उपाय करं यार कि इ ग्रह का चक्कर छूटे।

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