अल कायदा को लेकर पाक उहापोह में : यूएस
अल कायदा पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ के राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद अपना असर बढ़ाने के लिए अब जद्दोजहद की स्थिति में आ गया है। अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए में आतंकवाद मामलों के विशेषज्ञ रह चुके...
अल कायदा पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ के राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद अपना असर बढ़ाने के लिए अब जद्दोजहद की स्थिति में आ गया है। अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए में आतंकवाद मामलों के विशेषज्ञ रह चुके जैरेट ब्राचमैन ने अल कायदा के नेताआें के बयानों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। अमेरिकी सैन्य अकादमी के आतंकवाद निरोधक केन्द्र के एक पत्र सीटीसी सेन्टिनियल में ब्राचमैन ने लिखा है कि अलकायदा में पाकिस्तान की सरकार, सेना और जिहादी ताकतों को लेकर तमाम तरह की भविष्यवाणियां की जाने लगीं है। अब जब जनरल मुशर्रफ सत्ता से बाहर है तब भी अल कायदा अपनी पाकिस्तान विरोधी नीति को रणनीतिक कमजोरी स्वीकारे बिना बदलने में कठिनाई महसूस कर रहा है। वह अल कायदा की इस स्थिति को अमेरिका के लिए अवसर करार दिया है। गुआंटेनामो बे स्थित जेल में अल कायदा के संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे मुकदमों से जुड़े एक अमेरिकी प्रोफेसर ब्रायन ग्लीन विलियम्स ने कहा कि आसिफ अली जरदारी सरकार पर हमलों की गूंज कम है, क्योंकि पाकिस्तान में मुशर्रफ की तुलना में जरदारी की सरकार को वैधानिक माना जाता है। ब्राचमैन यह भी कहते हैं कि पाकिस्तान इस वक्त अमेरिका से जितना अलग दिख रहा है, वह उसके लिए आतंकवाद एवं कट्टरपंथ के खिलाफ संघर्ष के लिए घरेलू समर्थन जुटाने का सबसे अच्छा वक्त है। उन्होंने लिखा कि अल कायदा के नंबर दो अयमान अल जवाहिरी ने अगस्त में पाकिस्तानी जनता के प्रति प्रेम का इजहार किया था। उन्होंने कहा कि संभवत: इसका मकसद अल कायदा का पाकिस्तानियों को नई भाषा में लुभाना है, जिसमें वे नेताआें की बजाय जनता से रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं। ब्राचमैन के अनुसार शायद अल कायदा ऐसा करके बातचीत का कोई द्वार खोलना चाहता है।