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परमाणु कार्यक्रम पर ईरान के दावे से अमेरिका नाखुश

अमेरिका ने कहा है कि वह ईरान के इस हालिया दावे से कतई खुश नहीं है जिसमें उसने अपने परमाणु कार्यक्रम में प्रगति की बात कही है। अमेरिका ने यह भी कहा कि ईरान ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया यह कदम दरअसल...

परमाणु कार्यक्रम पर ईरान के दावे से अमेरिका नाखुश
एजेंसीThu, 16 Feb 2012 12:09 PM
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अमेरिका ने कहा है कि वह ईरान के इस हालिया दावे से कतई खुश नहीं है जिसमें उसने अपने परमाणु कार्यक्रम में प्रगति की बात कही है। अमेरिका ने यह भी कहा कि ईरान ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया यह कदम दरअसल इसलिए उठाया है ताकि वह अपने देश की जनता के सामने अपनी उपलब्धियों का बखान कर सके।
   
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैण्ड ने बताया कि एक बात तो बड़ी स्पष्ट है, ईरान साफ तौर पर अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक अलगाव की वजह से अपने उपर बढ़ रहे आर्थिक दबाव को अब महसूस कर रहा है।
   
गौरतलब है कि ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने बुधवार को सरकारी टीवी चैनल पर घोषणा की थी कि देश ने पहली दफा स्वदेश में 20 फीसदी संवर्धित परमाणु ईंधन का उत्पादन किया है ,जो तेहरान के शोध रिएक्टर के लिए तैयार किया गया है।
   
न्यूलैण्ड ने बताया उस रिएक्टर पर कामकाज की खबर के बारे में तो निश्चित तौर पर हम कुछ नयी बात नहीं देखते। यह कोई बड़ी खबर नहीं है। दरअसल इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। ईरान बीते कई महीनों से अपनी उपलब्धियों का बखान करता रहा है। यह हमें तो बस ईरान की ओर से अपने देश की जनता के सामने अपनी उपलब्धियों के बखान की तरह लगता है।

प्रवक्ता ने कहा कि ईरान की प्रतिक्रिया दरअसल उस दबाव को दिखाती है जिसे अब वह महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा मैं इस बात पर भी गौर करूंगी कि कल तेहरान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर दमनात्मक कार्रवाई की गई, बीते दो दिनों से बड़े पैमाने पर इंटरनेट संपर्क काट दिया गया है और उन्होंने कई विपक्षी नेताओं को अब भी नजरबंद कर रखा है।
    
नूलैंड ने कहा कि अब हमारा सारा ध्यान इस बात पर है कि ईरान को वार्ता की मेज पर वापस लाने के लिए जरूरी इन प्रतिबंधों को और कठोर कैसे बनाया जाए।
    
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा कि अमेरिका तेहरान की हर गतिविधि पर करीबी निगाह रखे हुए है और उसके बारे में अपने साथी देशों से विचार विमर्श कर रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका प्रतिबंधों को इस तरीके से जारी रखना चाहता है कि उसके वांछित परिणाम हासिल हों और उनका उसके सहयोगी देशों पर और मोटे तौर पर वैश्विक तेल बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़े।

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