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इसरो के पूर्व प्रमुख माधवन की पुन: नियुक्ति पर रोक

सरकार ने निजी कंपनी देवास को एसबैंड के आवंटन में कथित भूमिका को लेकर इसरो के पूर्व प्रमुख जी़ माधवन नायर और तीन प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पुन: नियुक्ति पर रोक लगा दी है। किसी पूर्व सचिव...

इसरो के पूर्व प्रमुख माधवन की पुन: नियुक्ति पर रोक
एजेंसीWed, 25 Jan 2012 10:19 PM
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सरकार ने निजी कंपनी देवास को एसबैंड के आवंटन में कथित भूमिका को लेकर इसरो के पूर्व प्रमुख जी़ माधवन नायर और तीन प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पुन: नियुक्ति पर रोक लगा दी है।

किसी पूर्व सचिव स्तर के वैज्ञानिक और अन्य सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ यह संभवत: अपनी तरह की पहली कार्रवाई है, जो एंट्रिक्स-देवास विवाद में उच्चस्तरीय जांच के बाद की गयी।

अपने खिलाफ उठाए गए इस कदम से गुस्साए 68 वर्षीय नायर ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए कार्रवाई की गयी है और उनके जैसे प्रतिष्ठित लोगों की छवि को खराब किया गया है।

उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मौजूदा अध्यक्ष क़े राधाकृष्णन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को दिग्भ्रमित किया है। अंतरिक्ष विभाग के आदेश में कहा गया है कि नायर और तीन अन्य आला अधिकारियों को पुन: नियुक्ति, समिति की भूमिकाओं या सरकार के तहत आने वाली अन्य किसी महत्वपूर्ण भूमिका से अलग किया जाएगा।

13 जनवरी के आदेश में कहा गया है कि इन चार पूर्व अधिकारियों को सरकार के साथ वर्तमान में किसी भी जिम्मेदारी से तत्काल प्रभाव से अलग कर दिया जाएगा। नायर इसरो के प्रमुख थे और अंतरिक्ष विभाग के सचिव व अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी रहे। जिन अन्य तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है, उनमें इसरो में पूर्व वैज्ञानिक सचिव ए़ भास्करनारायण, एंट्रिक्स के पूर्व प्रबंध निदेशक क़ेआऱ श्रीधरमूर्ति और इसरो उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक क़ेएऩ शंकर हैं।

सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में एक बैठक में इस तरह का फैसला लिया गया, जिसमें विवादास्पद समझौते पर उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट और इस पर पूर्व सीवीसी प्रत्यूष सिन्हा के नेतृत्व वाले दल की सिफारिशों पर विचार किया गया।

सरकार के आदेश के बाद नायर के आईआईटी़ पटना के संचालक मंडल के अध्यक्ष पद पर बने रहने पर संदेह पैदा हो गया है। एंट्रिक्स-देवास सौदे में घोटाले की खबरों के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आरोपों की जांच के लिए पूर्व कैबिनेट सचिव बी के चतुर्वेदी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति बनाई थी। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने इन खबरों के बाद सौदे को निरस्त कर दिया था।

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