राजंरग
हां हो भइया राज.. ओ मराठियों के स्वघोषित रखवाले राज भइया, किस गुफा में बैठ कर तपस्या में लीन हो। जरा आंखें तो खोलो, गुफा से बाहर झांको, देखो आपकी धरती पर कितना खूब-खराबा हो रहा है। मराठियों को आपने...
हां हो भइया राज.. ओ मराठियों के स्वघोषित रखवाले राज भइया, किस गुफा में बैठ कर तपस्या में लीन हो। जरा आंखें तो खोलो, गुफा से बाहर झांको, देखो आपकी धरती पर कितना खूब-खराबा हो रहा है। मराठियों को आपने बड़ी-बड़ी उम्मीदें बंधा रखी हैं। वह आपके दर्शन को उतावले हो रहे हैं। आपकी सेना में तो एक से बढ़ कर एक तीसमार खां हैं, कहां हैं सब के सब! जब मुंबईवासी चैन से जी-खा रहे होते हैं, तब तो आपके ये जाबांज सिपाही उनके बड़े हितचिंतक बने फिरते हैं। आज जब उनके आंसू पोंछने का वक्त है, तो कोई खोली से बाहर ही नहीं आ रहा? वैसे दोष आपका भी कैसे कहें? आपका भी तो अपना एक नीति शास्त्र है, जिसमें बार-बार यह बताया जाता है कि महाराष्ट्र को अगर किसी से खतरा है, तो वह हैं उत्तर भारतीय। ये टैक्सी चलाने और मजदूरी करने के बहाने यहां आते हैं और महाराष्ट्र को लूट ले जाते हैं। उत्तर भारतीयों के अलावा महाराष्ट्र को कोई आग भी लगा दे, तो आपको कोई तकलीफ नहीं होनेवाली। आपकी यह चुप्पी भी किसी राज से कम नहीं है!