फोटो गैलरी

Hindi News सरकारी स्कूलों में भाषा अब पढ़ाई में नहीं बनेगी बाधक

सरकारी स्कूलों में भाषा अब पढ़ाई में नहीं बनेगी बाधक

अब सरकारी स्कूलों की पढ़ाई में भाषा बाधक नहीं बनेगी। शैक्षणिक सत्र 2000 में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की किताब भी छात्रों को मिलेगी। इस संदर्भ में सरकार स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गयी है। छात्र चयन की...

 सरकारी स्कूलों में भाषा अब पढ़ाई में नहीं बनेगी बाधक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

अब सरकारी स्कूलों की पढ़ाई में भाषा बाधक नहीं बनेगी। शैक्षणिक सत्र 2000 में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की किताब भी छात्रों को मिलेगी। इस संदर्भ में सरकार स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गयी है। छात्र चयन की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर टेंडर इसी माह जारी होगा। साथ ही किसी भाषा बहुल क्षेत्र में उसी भाषा के शिक्षक को भी पदस्थापित करने की योजना है।ड्ढr इसे ध्यान में रखते हुए प्राइमरी शिक्षक नियुक्ित में भी जजा और क्षेत्रीय भाषा अनिवार्य किया गया है। साढ़े आठ हाार से ज्यादा पदों पर नियुक्ित को लेकर हुई परीक्षा में जजा-क्षेत्रीय भाषा की परीक्षा भी ली गयी है। इसमें पास करना अनिवार्य है। शिक्षा विभाग ने जिलावार अलग-अलग भाषा तय कर दी है। अनुशंसा के बाद इन शिक्षकों को उनकी भाषा के अनुसार पदस्थापित किया जायेगा। शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि छात्रों की बोलचालवाली भाषा में पढ़ाने से ज्यादा प्रभावशाली होता है। इससे वे ज्यादा से ज्यादा पिकअप कर पायेंगे। अब तक हिन्दी नहीं जाननेवाले छात्र को भी हिन्दी में पढ़ने की विवशता थी। स्कूलों में भाषा की शिकायत काफी आम थी। हिन्दी जाननेवाले शिक्षकों को जजा भाषा बहुल क्षेत्र में पदस्थापित कर दिया जाता था। इससे वे न तो छात्रों को ठीक से पढ़ा पाते हैं और न ही छात्र उनकी बात को समझ पाते हैं।ड्ढr जेसीइआरटी ने बनायी किताबड्ढr रांची। अलग राज्य बनने के बाद पहली बार पहली कक्षा में एनसीइआरटी की किताब नहीं चलेगी। जेसीइआरटी ने पहली कक्षा को लिए अलग से किताब का फॉरमेट तैयार किया है। इसमें एनसीइआरटी के अनुसार सिलेबस को हल्का किया गया है। साथ ही लोकल चीजें भी समाहित की गयी हैं। अगले साल से दूसरी और तीसरी कक्षा की किताबें भी जेसीइआरटी तैयार कर लेगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें