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भारत-आसियान के बीच प्रगाढ़ता समय की जरूरत: पीएम

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर भारत-आसियान भागीदारी की जरूरत और भी बढ़ गई है। उन्होंने भारत की 'लुक ईस्ट' नीति को मजबूत बनाने के लिए आर्थिक भागीदारी और...

भारत-आसियान के बीच प्रगाढ़ता समय की जरूरत: पीएम
एजेंसीSat, 19 Nov 2011 04:50 PM
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर भारत-आसियान भागीदारी की जरूरत और भी बढ़ गई है। उन्होंने भारत की 'लुक ईस्ट' नीति को मजबूत बनाने के लिए आर्थिक भागीदारी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व अंतरिक्ष सहित अन्य क्षेत्रों में सम्पर्क व सहयोग बढ़ाकर 10 देशों के समूह आसियान के साथ सम्बंधों को अधिक प्रगाढ़ बनाने की बात कही।

नौवें भारत-आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ) शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत ने साल 2010-2015 के लिए 82 बिंदुओं वाली आसियान-भारत कार्ययोजना व पांच करोड़ डॉलर के आसियान-भारत सहयोग के तहत कई सहकारी परियोजनाएं शुरू की हैं।

उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर आज हमारे बीच सहयोग की और भी तात्कालिक आवश्यकता है।

उन्होंने वस्तुओं के व्यापार के लिए भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते के पहले से ही प्रभावी होने का हवाला देते हुए कहा कि साल 2010-2011 में आसियान समूह के साथ व्यापार में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आसियान-भारत व्यापार सहयोग में 50 अरब डॉलर के व्यापार का आंकड़ा पार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि व्यापार में इस तरह की वृद्धि दर रही तो हम साल 2012 तक व्यापार 70 अरब डॉलर तक बढ़ाने के हमारे लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।

उन्होंने भारत-आसियान व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते को लागू करने के लिए सकारात्मक माहौल बनाने के लिए वाणिज्यिक अर्थपूर्ण सेवाओं और निवेश समझौते को जल्द पूरा करने के लिए समर्थन मांगा।

सिंह ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष विभाग ने आसियान देशों के लिए एक ट्रेकिंग व रिसेप्शन स्टेशन स्थापित करने व डाटा प्रोसेसिंग सुविधा और आसियान वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करनेकी अपनी पांच वर्षीय परियोजना की समीक्षा की है।

उन्होंने कहा कि हमने पहले ही आसियान आईसीटी कनेक्टिविटी और खासकर टेली-मेडीसिन व टेली-एजुकेशन के लिए सीएलएमवी (कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार व वियतनाम) देशों में ई-नेटवर्क स्थापित करने के लिए सहयोग की पेशकश की है।

सिंह के मुताबिक भारत व आसियान के बीच अधिक से अधिक सम्पर्क भारत का रणनीतिक उद्देश्य रहा है। उन्होंने कहा कि भूमि एवं समुद्री सम्पर्क के सम्बंध में कई परियोजनाएं विचाराधीन हैं। इनमें भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग व इसका लाओस और कम्बोडिया तक विस्तार व वियतनाम को भी जोड़ने वाले नए राजमार्ग के विकास की योजनाएं भी शामिल हैं।

इन सब के अलावा मेकांग-भारत आर्थिक कॉरिडोर पर एक अध्ययन भी है। इसमें एशियाई प्रायद्वीप के सभी कॉरिडोर्स को आपस में जोड़ने व भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को पूर्वी एशियाई क्षेत्र से जोड़ने का प्रस्ताव है।

सिंह ने कहा कि मैं सुझाव देना चाहूंगा कि इन सभी विभिन्न प्रस्तावों का हमारे अधिकारियों द्वारा समग्रता में अध्ययन किया जाना चाहिए ताकी हम हमारे संसाधनों व प्रयासों के इस्तेमाल के अनुकूल निर्णय ले सकें।

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