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असल मुंबई की सुध

आतंकी हमले के हफ्ते भर बाद बुधवार के ही दिन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के पार्सल रूम में साढ़े आठ किलो का आरडीएक्स बम मिलने से यह संदेश फिर गया है कि या तो हम सुरक्षा के सौ फीसदी एहतियाती उपाय कर ही नहीं...

 असल मुंबई की सुध
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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आतंकी हमले के हफ्ते भर बाद बुधवार के ही दिन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के पार्सल रूम में साढ़े आठ किलो का आरडीएक्स बम मिलने से यह संदेश फिर गया है कि या तो हम सुरक्षा के सौ फीसदी एहतियाती उपाय कर ही नहीं सकते या रलवे स्टेशन जसी आम लोगों के इस्तेमाल की जगहें अब हमारी प्राथमिकता में नहीं हैं। रलवे सुरक्षा के अधिकारी यह कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं कि मंगलवार तक उनके पास दूसरे बड़े काम थे और पुलिस विभाग में तलाशी के लिए पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। शुक्र मनाइए कि मुख्यमंत्री पद से विदा होते विलासराव देशमुख ने स्टेशन का दौरा कर लिया और उसी बहाने यह बैग पुलिस के हाथ आ गया। लेकिन लगता है कि सुरक्षा बल, राजनेता और मीडिया इन सब का ध्यान विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से मशहूर इस एतिहासिक विरासत वाले रलवे स्टेशन से उठ कर ताजमहल और ओबेराय की तरफ जा चुका है। इसीलिए लाखों लोगों के जीवन से जुड़े इस स्टेशन की सुरक्षा के बार में यह उपेक्षा सामने आई। सन् 18में बना विशिष्ट वास्तुशिल्प का यह स्टेशन भारतीय रलवे स्टेशनों का ताज है। भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में रलवे का जो योगदान है, उसमें वीटी स्टेशन का भारी हिस्सा बनेगा। जिन लोगों के खून-पसीने से भव्य मुंबई जसे आधुनिक महानगर का निर्माण हुआ है, वे यहीं से मुंबई में प्रवेश करते और वापस लौटते हैं। उस अशुभ दिन को भी उनमें से तमाम लोग महानगरी एक्सप्रेस से बनारस जाने वाले थे। वहां मार गए 54 लोगों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के पुरबिया थे और वे हफ्ते भर बाद भी अपने प्रियजनों का शव लेने के लिए पैसे नहीं जुटा पाए थे। यह कटु यथार्थ है कि सुरक्षा और संवेदना के सरोकार भारत और इंडिया के लिए अलग होते हैं, जो दक्षिण मुंबई जसे समृद्ध इलाके से ज्यादा कहां दिखाई पड़ेंगे? इसके बावजूद आज सुरक्षा की प्राथमिकताओं में इस तरह बदलाव नहीं किया जाना चाहिए कि सारा ध्यान इंडिया पर ही रहे और भारत को जोखिम की तरफ ठेल दिया जाए। क्योंकि आज जरूरत भारत और इंडिया के एक होने की है, तभी ‘इंडिया दैट इज भारत’ इस बड़ी चुनौती का सामना कर सकेगा।

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