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ज्यादा मस्ती थोड़ी होशियारी हैपी दिवाली

कल दिवाली है। तैयारियां तो पूरी हो गई होंगी तुम्हारी। इस दिन ढेर सारी मस्ती जरूर करना, मिठाई खाना, नये कपड़े पहनना, पूजा करना, कुछ पटाखे भी जला लेना। लेकिन इन सबमें कुछ सावधानियां बरतना बहुत जरूरी...

ज्यादा मस्ती थोड़ी होशियारी हैपी दिवाली
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 24 Oct 2011 12:01 PM
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कल दिवाली है। तैयारियां तो पूरी हो गई होंगी तुम्हारी। इस दिन ढेर सारी मस्ती जरूर करना, मिठाई खाना, नये कपड़े पहनना, पूजा करना, कुछ पटाखे भी जला लेना। लेकिन इन सबमें कुछ सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है। कल क्या-क्या करना है और क्या नहीं करना, बता रहे हैं दीपक भारती

दिवाली का त्योहार होता है दीपों का, रोशनी का। तुम सभी को पता ही होगा कि इस दिन भगवान श्रीराम, बुराई के प्रतीक रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में राज्य के लोगों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं, तभी से इस दिन को दीपावली के नाम से त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन तुम्हें भी सारे अच्छे काम करने हैं। एक भी काम ऐसा न हो, जिससे मम्मी-पापा को या दादा-दादी को बुरा लगे। अब तुम सोच रहे होगे कि क्या करोगे और क्या नहीं। कोई बात नहीं, तुम्हारी इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन हम तुम्हें दे देते हैं। आज हम तुम्हें ढेर सारी मस्ती के टिप्स के साथ-साथ ऐसी भी बातें बता रहे हैं, जो तुम्हें कल नहीं करनी चाहिए।

बातें याद रखने की

जितना ज्यादा हो सके, दीप जलाओ और उन्हें जलता हुआ देखो। उनकी रोशनी हमारे अंदर अच्छाई पैदा करती है और हम जिंदगी में बेहतर काम करने के लिए ताकत पाते हैं। इस त्योहार का मतलब भी यही है कि गहरे अंधेरे और हार के बाद एक दिन सच्चाई की जीत होती है और उन लोगों के जीवन में भी खुशियां आती हैं, जिन्होंने दुखों को लंबे समय तक झेला हो। जैसे राम, सीता और लक्ष्मण को राजमहल छोड़कर चौदह साल तक जंगल में रहना पड़ा था। इस दौरान उन्होंने तमाम मुसीबतें झेलीं, यहां तक कि सीता को भी खो दिया, लेकिन अंत में उनके अच्छे दिन लौट आए।

ऐसे पटाखों का इस्तेमाल करो, जिनसे पर्यावरण में ज्यादा धुआं न फैले। वे ज्यादा आवाज करने वाले न हों और जो खासकर बच्चों के लिए बनाए गए हों। ईको फ्रेंडली पटाखों का यूज करो।

घर में होने वाली पूजा में मम्मी-पापा और परिवार के साथ शामिल होने की कोशिश करो और जानो कि दीपावली में लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा का मतलब क्या है।

पूजा के बाद पढ़ने के लिए भी थोड़ा समय निकालना जरूरी होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर तुम इस दिन पढ़ते हो तो साल भर पढ़ने की आदत बनी रहती है।

अपनी खुशी में उन दोस्तों को भी शामिल करो, जिनके माता-पिता गरीब हैं और तुम्हारी तरह उनके लिए पटाखों और मिठाइयों पर ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। ऐसी खुशी अधूरी रहती है, जिसमें हमारे आसपास के लोग दुखी और अंधेरे में हों।

घर में बने पकवान और मिठाइयां बच जाती हैं तो मम्मी-पापा से पूछकर इन्हें उन गरीब बच्चों को खाने के लिए दे सकते हो, जो तुम्हारे घर के पास रहते हैं।

तुम्हें इस त्योहार में अगर नए कपड़े मिलते हैं तो ठीक है और अगर नहीं भी मिलते हैं तो कोई बात नहीं। तुम्हारे पास बर्थडे गिफ्ट वाली या कोई दूसरी नई ड्रेस तो होगी, उसे ही शाम को पहन सकते हो।

दिवाली की छुट्टियों में सर्दियों के कपड़े धूप में डालने के लिए निकाले जाते हैं। तुम मम्मी-पापा से पूछकर इनमें से वे कपड़े गरीब बच्चों को पहनने के लिए दे सकते हो, जो अब तुम्हारे काम के नहीं हैं।

क्या नहीं करना

भारी पटाखे छुड़ाने की जिद बिल्कुल भी नहीं करना। वैसे सुरक्षा के लिहाज से तो बड़ों को भी खतरनाक पटाखों से दूर रहना चाहिए। लेकिन बच्चों के लिए तो ऐसे पटाखें बहुत घातक होते हैं। इनसे तुम्हें सीरियस चोट लग सकती है।

यह याद रखो कि ऐसी जगहों पर दीपक जलता न छोड़ो, जहां आप ध्यान न दे पाओ और आग लगने का खतरा हो, सोने से पहले एक बार सारे दीपकों को देख लेना।

यह खुशियां बांटने का त्योहार है, इसलिए अगर मम्मी-पापा तुम्हारी किसी जिद को पूरा नहीं कर पाते तो रोना मत और उनसे नाराज मत होना, हो सकता है कि वे चाहकर भी तुम्हारे लिए कुछ न कर पाए हों।

पटाखे छुड़ाते समय ऐसे कपड़े न पहनना, जो आग लगने पर त्वचा से चिपक जाते हों, पटाखे छुड़ाते समय सूती कपड़े पहनना सुविधाजनक रहता है।

दिवाली के दौरान मौसम बदल रहा होता है। इस दिन हल्की-हल्की ठंड भी रहती है, इसे ध्यान में रखना और दोस्तों के साथ ज्यादा देर पटाखे छुड़ाने पर हाफ स्वेटर पहन लेना।

खाने-पीने में लालच मत करना। ज्यादा तली-भुनी चीजें और मिठाइयां नुकसान कर सकती हैं। उतना ही खाना, जिससे पेट भर जाए, इतना नहीं कि बीमार हो जाओ।

ऐसे दोस्तों से दूर रहना, जो बड़ों के प्ले कार्ड (ताश) उठाकर तुम्हें खेलना सिखाएं और उनमें पैसे की बाजी लगाकर जीत-हार करने को कहें।

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