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मुद्दे पिटने से भाजपा नेतृत्व भौंचक

विधानसभा चुनावों के परिणामों से भाजपा भौंचक है। उम्मीद के विपरीत दिल्ली में सत्ता हाथ नहीं आने और राजस्थान के हाथ से निकलने के बाद भाजपा को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की जीत से संतोष करना पड़ रहा है।...

 मुद्दे पिटने से भाजपा नेतृत्व भौंचक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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विधानसभा चुनावों के परिणामों से भाजपा भौंचक है। उम्मीद के विपरीत दिल्ली में सत्ता हाथ नहीं आने और राजस्थान के हाथ से निकलने के बाद भाजपा को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की जीत से संतोष करना पड़ रहा है। सुबह से हतप्रभ रहे भाजपा नेताओं को शाम होते-होते यह कह कर चुप्पी तोड़नी पड़ी कि परिणाम हमें धक्का पहुंचाने वाले नहीं हैं। राजस्थान में भाजपा ने हार का ठीकरा बागी उम्मीदवारों पर फोड़ा तो दिल्ली में मानना पड़ा कि अपने काम के कारण शीला की वापसी हुई है। बहरहाल, दोनों राज्यों में पार्टी के चुनाव प्रबंधन में क्या-क्या खामियां थी, इसका पता लगाने के लिए एक जांच कमेटी बैठाने का निर्णय लिया गया है। देर शाम भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। डेढ़ घंटे चली बैठक के बाद जेटली ने माना कि इन चुनावों में आतंकवाद और महंगाई जैसे बड़े राष्ट्रीय मुद्दे निर्णायक साबित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि हालांकि ये दोनों राष्ट्रीय मुद्दे हैं लेकिन इन चुनावों में कई मुद्दे एक साथ हावी रहे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के अच्छे कामकाज के कारण वापसी हुई। इसी का लाभ दिल्ली में शीला दीक्षित को मिला। दिल्ली में मल्होत्रा को प्रोजेक्ट किये जाने को उन्होंने हार का कारण मानने से इनकार कर दिया। जबकि राजस्थान में सरकार का कार्य खराब नहीं था। लेकिन वहां टिकट वितरण समेत चुनाव प्रबंधन की खामियों के कारण 60 बागी मैदान में कूद गए। पार्टी इस समस्या को समय पर सुलझा नहीं पाई। इसके बावजूद वहां भाजपा को कांग्रेस से सिर्फ एक फीसदी वोट कम मिला। बकौल जेटली लोकसभा चुनाव के लिहाज से चुनाव परिणाम भाजपा के लिए औसत संतोषजनक हैं। भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी साफ किया कि चुनाव परिणाम से पार्टी को कोई धक्का नहीं पहुंचा है। वैसे, भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में इस बात पर गरमागरम चर्चा हुई कि चुनाव प्रबंधन में चूक के कारण दिल्ली और राजस्थान हाथ से निकल गए। आंतकवाद से खफा जनमानस को पार्टी वोट में नहीं बदल सकी। इस संबंध में हालांकि संगठन में फिलहाल किसी फेरबदल से इनकार किया गया है। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में जांच रिपोर्ट आने के बाद दोनों राज्यों के संगठन में फेरबदल किया जा सकता है ताकि लोकसभा चुनावों के लिए दोनों राज्यों को गेयरअप किया जा सके।

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