फोटो गैलरी

Hindi News शीला के सीएम बनने पर औपचारिक मुहर

शीला के सीएम बनने पर औपचारिक मुहर

शीला दीक्षित को बुधवार को सर्वसम्मति से दिल्ली कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना लिया गया। दीक्षित के नाम का प्रस्ताव पार्टी महासचिव मोहसिना किदवई ने किया और चौधरी प्रेम सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन...

 शीला के सीएम बनने पर औपचारिक मुहर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

शीला दीक्षित को बुधवार को सर्वसम्मति से दिल्ली कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना लिया गया। दीक्षित के नाम का प्रस्ताव पार्टी महासचिव मोहसिना किदवई ने किया और चौधरी प्रेम सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन किया। करीब आधा घंटे चली बैठक में उनके नाम को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल का नेता चुने जाने के मसले को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया था और किदवई ने इस संबंध में सोनिया गांधी से बातचीत की। सोनिया गांधी ने विधायक दल का नेता चुनने का जिम्मा विधायकों पर छोड़ दिया। इसके बाद सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से दीक्षित के नाम को मंजूरी दे दी। मोहसिना किदवई तथा वित्त रायमंत्री पवन कुमार बंसल ने केन्द्रीय पर्यवेक्षक के रूप में इस बैठक में हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि शीला दीक्षित के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार दिल्ली में जीत दर्ज करके इतिहास रच दिया है। पार्टी ने विधानसभा की 70 में से 6सीटों के लिए गत 2नवम्बर को हुए चुनाव में 42 सीटें हासिल की है। गौरतलब है कि शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर 1में शुरु हुआ। उन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट से विजय हासिल की। महिलाआें के हितों की पैरवी करने वाली दीक्षित केन्द्र में भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुकी हैं। राजीव गांधी की सरकार में उन्होंने संसदीय कार्य रायमंत्री तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में भी रायमंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 1में शीला दीक्षित के दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहते हुए पार्टी विजयी हुई और राय की बागडोर उन्हें सौंपी गई। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वर्ष 2003 में उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने एक बार फिर दिल्ली में अपना परचम लहराया और पार्टी ने 47 सीटें जीती। पिछले दस वर्ष के कार्यकाल में दीक्षित ने हर चुनौती का डटकर जवाब दिया और उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में फ्लाई आेवर का जाल बिछा। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाआें पर भी काफी बल दिया। जनता को शासन के साथ जोड़ने के लिए शीला दीक्षित का भागीदारी अभियान काफी सफल हुआ। दीक्षित ने दिल्ली में बिजली की स्थिति में सुधार के लिए इसकी वितरण सेवा का निजीकरण किया। हालांकि इसको लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई लेकिन इससे तनिक भी विचलित हुए बिना वह अपने फैसले पर अडिग रहीं। नए कार्यकाल के दौरान दीक्षित के सामने 2010 में राजधानी में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें