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नरगा में काम नहीं, तो बेरोचागारी भत्ता देने की मांग

नरगा में काम नहीं, तो बेरोगारी भत्ता देने की मांग को लेकर राज्य के सैकड़ों ग्रामीण 10 दिसंबर को राजधानी में जुटे। इन्होंने सैनिक बाजार के पास मानव श्रंखला बनाकर सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की।ड्ढr...

  नरगा में काम नहीं, तो बेरोचागारी भत्ता देने की मांग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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नरगा में काम नहीं, तो बेरोगारी भत्ता देने की मांग को लेकर राज्य के सैकड़ों ग्रामीण 10 दिसंबर को राजधानी में जुटे। इन्होंने सैनिक बाजार के पास मानव श्रंखला बनाकर सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की।ड्ढr ग्राम स्वराज अभियान और नरगा वाच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि नरगा कानून में प्रावधान है कि काम मांगने के 15 दिन के भीतर मजदूरों को काम देना होगा। यदि उन्हें साल में सौ दिन का काम नहीं दिया जाता है, तो बेरोगारी भत्ता देना होगा। झारखंड में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। गरीब ग्रामीणों को न तो काम मिल रहा है और न ही भत्ता। नरगा वाच ने रांची, लातेहार, पलामू और गढ़वा के ऐसे दो हाार लोगों का आवेदन लिया है, जिन्हें काम अथवा भत्ता नहीं दिया गया। इन्हें जब तक भत्ता नहीं दिया जायेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। मानव श्रंखला में सामाजिक कार्यकर्ता बलराम, कमल मंडल, ज्योत्सना तिर्की, गुराीत, राजपाल, कल्याणी मीणा, डॉ रमेश शरण, शालिनी संवेदना, जेम्स हेरां सहित अन्य शामिल थे। मानव श्रंखला में शामिल ग्रामीणों ने दमन विरोधी मंच द्वारा आहूत प्रतिरोध मार्च में भी हिस्सा लिया।वीसी के लिए नाम मांगे जाने से सरगर्मी बढ़ीरांची। राज्य की तीनों यूनिवर्सिटी सहित दो नयी यूनिवर्सिटी के वीसी और प्रोवीसी की नियुक्ित प्रक्रिया शुरू हो गयी है। राजभवन ने इसके लिए सरकार से नाम मांगा है। इस दौड़ में शामिल बुद्धिाीवी अपनी पैरवी का वजन बढ़ाने में जुट गये हैं। राजभवन से लेकर सीएमओ तक चक्कर लगाते उन्हें देखा जा सकता है। एक यूनिवर्सिटी के प्रोवीसी सीएम शिबू सोरन के साथ जामताड़ा के अपने संबंध को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो एक पूर्व प्राचार्य पूर्व सीएम मधु कोड़ा के सहार ही मंजिल पाने की जुगत में हैं। इस दौड़ में डॉ करमा उरांव, डॉ एसके राय, डॉ शुक्ला मोहंती, डॉ आनंदभूषण, डॉ केसी टुडू, डॉ बीएन टुडू, डॉॅ केएन दुबे, डॉ शाहिद हसन, डॉ एके श्रीवास्तव, डॉ एलएन भगत, डॉ एम हसन के नामों की चर्चा हो रही है।ड्ढr हालांकि रांची यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो एए खान पर राजभवन के विश्वास को देखते हुए पुन: उन्हें इस कुर्सी को देने की चर्चा भी है। सबकी निगाहें फिलहाल सरकार द्वारा राजभवन भेजे जानेवाले नामों पर टिकी हैं। शिक्षा मंत्री के निकट होने के कारण प्रो शाहिद हसन और डॉ एम हसन के नाम लिये जा रहे हैं। एक बड़े शिक्षा अधिकारी का दावा विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के वीसी पद के लिए काफी मजबूत माना जा रहा है। 31 दिसंबर को रांची यूनिवर्सिटी और विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के वीसी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। साथ ही सिदो-कान्हू यूनिवर्सिटी के प्रोवीसी डॉ अरविंद कुमार का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।

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