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घिसट रहीं सड़क निर्माण की बड़ी योजनाएं

ाब बाड़ ही खेत खाने लगे, तो क्या होगा? तमाम निर्देश के बाद भी पथ निर्माण के इंजीनियर कायदे से योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं करते। निरीक्षण और कार्यप्रगति की जानकारी परफारमा में भरकर राज्य मुख्यालय भेजने...

 घिसट रहीं सड़क निर्माण की बड़ी योजनाएं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ाब बाड़ ही खेत खाने लगे, तो क्या होगा? तमाम निर्देश के बाद भी पथ निर्माण के इंजीनियर कायदे से योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं करते। निरीक्षण और कार्यप्रगति की जानकारी परफारमा में भरकर राज्य मुख्यालय भेजने के निर्देश भी दिये गये थे, लेकिन फर्क नहीं पड़ा। टेबुल वर्क से ही सड़कें फाइनल हो जाती हैं। ऊपर से कोई सख्त निर्देश हुआ, या किसी खास गड़बड़ी की सूचना पर ही चीफ इंजीनियर और इंजीनियर इन चीफ क्षेत्र जाने की रस्म अदायगी करते हैं। पूर्व इंजीनियर इन चीफ डॉ सीके सिंह महीने में ढाई-तीन हाार किमी की यात्रा करते और एक-एक योजना का निरीक्षण करते थे। सरकार की फाइलों में यह है। सड़क निर्माण की अधिकांश बड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी नहीं है। पिछले तीन साल से योजना मद की राशि सरंडर हो रही है। वैसे इस साल खर्च में सुधार है। 580 करोड़ के विरुद्ध 543 करोड़ व्यय किये गये हैं। मॉनिटरिंग नहीं होने कारण ही करोड़ों की सड़क भी साल भर में फेल कर जाती है। आदित्यपुर-कांड्रा सड़क के फेल करने पर हइकोर्ट ने इंजीनियरों की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है। राजधानी में 18 करोड़ की लागत से बनी बरियातू सड़क कुछ महीनों में फेल कर जाये, तो आश्चर्य नहीं। बनने के साथ ही जगह-ागह सड़क टूट और धंस रही है। सड़क के बीचोबीच पाइप लाइन है।ड्ढr शिकारीपाड़ा- दुमका सड़क लगभग पांच किमी तक छितरा गयी है। कोई देखने-टोकने वाला नहीं। गोड्डा-पंजियारा सड़क निर्माण में भी क्वालिटी नहीं है। मॉनिटरिंग के अभाव में ही बड़े प्रोजेक्ट और महत्वपूर्ण योजनाओं में कार्यप्रगति धीमी है। रिंग रोड के निर्माण के लिए 30 करोड़ से अधिक का आबंटन किया गया है। अबतक 15 करोड़ ही खर्च किये जा सके हैं। इसमें बड़ी राशि मोबेलाइजेशन की है। एक किमी सड़क भी नहीं बनी है।ड्ढr गोपीकांदर-पाकुड़िया, बोआरीाोर- बोरियो, साहेबगंज-मिर्जाचौकी- बोआरीाोर, हाारीबाग-बड़कागांव- टंडवा, गिरिडीह-गांडेय- नारायणपुर-ाामताड़ा, मधुपुर-लहाोरी, ढाब-पिहरा-कालीपट्टी, लोहापट्टी-चंद्रपुरा- मांझीडीह- फुसरो, गोला-चारू, चक्रधरपुर - सोनुआ-गोइलकेरा, बड़ाभूम-बंदोयान, पत्ताबाड़ी- मसनाजोर जसी बड़ी योजनाओं में कार्यप्रगति धीमी है। दर्जनों पुलों का निर्माण भी कई साल से फाइनल नहीं हो रहा।

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