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पीएम ने नहीं की अनदेखीः PMO

पीएमओ ने उन दावों को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विवादास्पद 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों को जारी करने में हो रही गड़बड़ी के बारे में जानते हुए भी इसकी अनदेखी की। पीएमओ ने कहा कि दूरसंचार...

पीएम ने नहीं की अनदेखीः PMO
एजेंसीSun, 31 Jul 2011 09:17 PM
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पीएमओ ने उन दावों को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विवादास्पद 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों को जारी करने में हो रही गड़बड़ी के बारे में जानते हुए भी इसकी अनदेखी की।

पीएमओ ने कहा कि दूरसंचार विभाग को अनौपचारिक तौर पर सूचित कर दिया गया था कि मौजूदा ऑपरेटरों और इस क्षेत्र में नए आने वाले ऑपरेटरों को समान मौका मिले।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने 23 जनवरी 2008 को दूरसंचार विभाग को भेजे गए पत्र का हवाला दिया। उसने जोर दिया कि यह किसी भी तरीके से लाइसेंस देने के तरीके या स्पेक्ट्रम के लिए शुल्क से संबंधित नहीं था।

पीएमओ ने एक वक्तव्य में कहा कि जिस मुद्दे की जांच की जा रही है उसपर विचार किए बिना इस नोटिंग से अनावश्यक कई निष्कर्ष निकाले गए हैं। इस संबंध में इस बात पर भी विचार नहीं किया गया कि किस संदर्भ में ये निर्देश दिए गए थे।

पीएमओ ने कहा कि खासतौर पर ऐसी धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि यह नोटिंग, प्रधानमंत्री को इस संबंध में उठाए जा रहे कदमों की सूचना देने के संदर्भ में दिए गए जवाब को लेकर थी, जिनके बारे में वे जानते थे कि यह अनुचित है लेकिन, उन्होंने इसकी अनदेखी की।

यह वक्तव्य सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान 2जी मुद्दे पर विपक्ष के हमलों का सामना करने की तैयारी करते हुए सरकार ने जारी किया है। पीएमओ की ओर से यह स्पष्टीकरण मीडिया में प्रधानमंत्री के निजी सचिव की उस नोटिंग के संबंध में आई रिपोर्ट के मद्देनजर आया है, जिसमें स्पेक्ट्रम के आवंटन से संबंधित मामले में प्रधानमंत्री के निर्देशों को प्रेषित किया गया है।

23 जनवरी, 2008 की उस नोटिंग में कहा गया है कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इसे अनौपचारिक तौर पर दूरसंचार विभाग के साथ साझा किया जाए। वह औपचारिक पत्र व्यवहार नहीं चाहते हैं और चाहते हैं कि पीएमओ को दूर रखा जाए।

अपने स्पष्टीकरण में पीएमओ ने कहा कि यह नोटिंग उस नोट पर थी, जिसमें उस दृष्टिकोण पर विचार करने का प्रस्ताव था जिसमें स्पेक्ट्रम के न्यूनतम स्तर को निर्धारित करना भी शामिल था ताकि प्रत्येक ऑपरेटर न्यनूतम क्षमता के साथ अवश्य काम कर सकें।

23 जनवरी 2008 के नोट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा स्पेक्ट्रम धारक ऑपरेटरों को कुछ समय दिया जाए ताकि वे स्पेक्ट्रम का पूरी तरह उपयोग करने के लिए उस स्तर तक पहुंचने के लिए ग्राहकों के स्तर को बढ़ा सकें। ऐसा नहीं करने पर जरूरत से अधिक स्पेक्ट्रमों को वापस लिया जा सकता है।

पीएमओ के वक्तव्य में कहा गया है कि नए ऑपरेटरों को सामान्य शुल्क की अदायगी पर न्यूनतम स्तर तक स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जा सकता है। वक्तव्य में कहा गया है कि शेष स्पेक्ट्रम को उसके बाद उन लोगों के बीच नीलाम किया जा सकता है जिनके पास न्यूनतम स्पेक्ट्रम है।

इसमें कहा गया है कि नोट से यह स्पष्ट है कि इस दृष्टिकोण की मंशा मौजूदा ऑपरेटरों और नए भागीदारों को समान मौका देना था। इसका संबंध किस तरीके से लाइसेंस दिए जाएं या न्यूनतम सीमा के स्तर तक स्पेक्ट्रम का क्या शुल्क हो इससे नहीं था।

वक्तव्य में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय का प्रस्ताव था कि मुख्य भागीदारों और ट्राई के साथ विचार-विमर्श के आधार पर इन सुझावों को और विचार के लिए दूरसंचार विभाग के पास भेजा जाए।

पीएमओ ने गौर किया कि उस वक्त यह अच्छी तरह ज्ञात था कि मौजूदा ऑपरेटरों और नए भागीदारों के विरोधाभासी हित हैं। प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि इस मामले पर दूरसंचार विभाग को ट्राई और अन्य के साथ विचार-विमर्श के बाद विस्तृत परीक्षण और विचार करने की आवश्यकता है।

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